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136 गांवों को इको सेंसेटिव जोन बता वन विभाग ने भेजी नोटिस, दहशत में ग्रामीण

चांडिल. इको सेंसेटिव जोन के विरोध में की पदयात्रा, अनुमंडल कार्यालय पर धरना

पारंपरिक हथियार के साथ ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

प्रदर्शन के बाद राज्यपाल 
के नाम सौंपा ज्ञापन

प्रतिनिधि, चांडिलचांडिल व दलमा के 136 गांवों को इको सेंसेटिव जोन के दायरे में लाकर वन विभाग द्वारा नोटिस देने के विरोध में पारंपरिक हथियार के साथ महिला-पुरुषों ने अनुमंडल कार्यालय पर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन का नेतृत्व दलमा आंचलिक मुक्ति संघर्ष समिति ने किया. वन विभाग के खिलाफ ग्रामीणों ने तख्तियां व पारंपरिक हथियार टांगी, तलवार, फरसा, तीन-धनुष, कुल्हाड़ी, दावली आदि लेकर चांडिल डैम रोड से अनुमंडल कार्यालय तक वन विभाग के खिलाफ पदयात्रा निकाली. अनुमंडल कार्यालय पहुंचने के बाद पदयात्रा धरना-प्रदर्शन में तब्दील हो गया. पदयात्रा व धरना-प्रदर्शन के दौरान वन विभाग के प्रति ग्रामीणों का काफी आक्रोश देखा गया. प्रदर्शन के बाद ग्रामीणों ने राज्यपाल के नाम एसडीओ की अनुपस्थिति में बड़ा बाबू को ज्ञापन सौंपा.

ये ये थे मौजूद :

संचालनकर्ता सह मुखिया प्रतिनिधि बासुदेव सिंह सरदार, पूर्व मुखिया हरिपद सिंह, ग्राम प्रधान लक्ष्मण गोप, ग्राम प्रधान गौरी शंकर सिंह, दिगंबर सिंह, कंचन सिंह, अजय सिंह, ग्राम प्रधान भानु सिंह, मनोज सिंह, रोहिन सिंह, सुभद्रा सिंह, रवींद्र सिंह, महेश्वर महतो, फणिभूषण सिंह, फटिक मंडल, हरमोहन सिंह, मोटू मांझी, आस्तिक दास, राजकिशोर महतो, चंदन सिंह, रवीन्द्र नाथ सिंह, हंसराज सिंह, दीनबंधु सिंह, मानिक प्रमाणिक, भोलानाथ सिंह, अजय मार्डी उपस्थित थे.

वन विभाग ने ग्रामीणों के घर को अवैध बताया

दलमा इको सेंसेटिव जोन के दायरे में आने वाले कई ग्रामीणों को वन विभाग ने नोटिस भेजी है. ग्रामीणों के पक्के घर को अवैध बताया है. वन विभाग की नोटिस से ग्रामीणों में दहशत है. इधर, धरना-प्रदर्शन को आजसू पार्टी के केन्द्रीय महासचिव हरेलाल महतो, ईचागढ़ के भाजपा नेता सह भाजयुमो के प्रदेश प्रवक्ता विनोद राय ने समर्थन दिया.

ग्रामीणों को उजाड़ने की साजिश कर रही सरकार

असित दलमा आंचलिक मुक्ति संघर्ष समिति के अध्यक्ष असित सिंह पातर ने कहा कि सरकार एक सोची समझी साजिश के तहत ग्रामीणों को उजाड़ने का षडयंत्र रच रही है. उन्होंने दलमा वन क्षेत्र पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 19वीं इको सेंसेटिव जोन की अधिसूचना (2012) की कंडिका 4 (5) को निरस्त करें. उन्होने कहा कि सरकार 15 दिनों के अंदर ग्रामसभा में इको सेंसेटिव के बारे में बताये.

आदिवासियों की जमीन कब्जा करने 
में लगी है सरकार : विनोद राय

भाजपा नेता विनोद राय ने कहा कि इको सेंसेटिव जोन के नाम पर ग्रामीणों को उजाड़ने का काम राज्य सरकार कर रही है. इस क्षेत्र के लोग चांडिल डैम में 40 वर्षों से विस्थापित का दंश झेल रहे हैं. एनएच 33-32 सड़क निर्माण में भी ग्रामीणों की जमीन गयी है. अब सरकार इको सेंसेटिव जोन के नाम पर ग्रामीणों को बेघर करने पर लगी है. राज्य सरकार जमीनों पर कब्जा कर रही है. सरकार ग्रामीणों की मांगों को नहीं मानती, तो हम सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेंगे.

इको सेंसेटिव जोन के नाम पर ग्रामीणों को डराना बंद करें : हरेलाल

आजसू पार्टी के केंद्रीय सचिव हरेलाल महतो ने कहा कि इको सेंसेटिव जोन के नाम पर दलमा क्षेत्र के ग्रामीणों को नोटिस भेजकर डराने का प्रयास किया जा रहा है. जंगल बचाने वालों को षड्यंत्र कर भगाया जा रहा है. इसे हम कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे. इको सेंसेटिव जोन के नाम पर वन विभाग ग्रामीणों को डराना बंद करे. नया नियम कानून लाकर ग्रामीणों को प्रताड़ित किया जा रहा है, जो गलत है.

ये हैं मांगें

इको सेंसेटिव जोन एक्ट को वापस लिया जाये.

दलमा वन क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाये.

वन्यप्राणी द्वारा किसानों की फसल नष्ट करने पर क्षतिपूर्ति दिया जाये.

वन्यप्राणियों द्वारा मारे जाने पर सरकारी नौकरी व मुआवजा 50 लाख रुपये दिया जाये

वन भूमि पट्टा, सामुदायिक पट्टा व वनाधिकार पट्टा स्थानीय को मिले.

दलमा क्षेत्र में विकास के नाम पर अधिकारी द्वारा हो रही भ्रष्टाचार को उच्च स्तरीय जांच ऐजेंसी द्वारा अबिलंब किया जाए.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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