– बिहार की जीविका दीदियों ने 99 फीसदी बैंक का भी कर्ज उतारा
मनोज कुमार, पटना
बचत महिलाओं की स्वाभाविक प्रवृत्ति है. कर्ज लेकर चुकाना भी उन्हें बखूबी आता है. इस घरेलू मॉडल को बिहार की जीविका दीदियों ने एक बड़े स्वरूप में प्रस्तुत किया है. दीदियों ने किसी-किसी गांव में दस-दस रुपये तो किसी गांव में बीस-बीस रुपये घर खर्च से बचाकर 2233 करोड़ रुपये की बचत की. 99 फीसदी से अधिक बैंक का कर्ज भी उतार दिया. परिणाम है कि जीविका दीदियों में बंटे बैंक कर्ज में महज 0.91 फीसदी एनपीए रहा.10.26 लाख समूहों में बंटे 42371 करोड़ ऋण
राज्य के विभिन्न बैंकों ने जीविका के 10 लाख 26 हजार स्वयं सहायता समूहों में ऋण बांटे. इन समूहों को कुल कुल 42371.12 करोड़ रुपये ऋण अब तक दिये गये. बैंकों की ओर से मिले कर्ज को जीविका दीदियों ने चुकता भी कर दिया. महज एक फीसदी ही ऋण बकाया रह गया. 5710 बैंक सखी ने बैंकिग कार्य में मदद की. बैंक सखियों के माध्यम से 13269 करोड़ रुपये की जमा-निकासी भी हुई. 70 लाख महिला सदस्यों का बीमा भी करवाया गया.ऐसा है दीदियों का बचत व खर्च मॉडल
जीविका के स्वयं सहायता समूह गठन के लिए बैठक होती है. इस बैठक में ही तय होता है कि बचत की राशि कितनी निर्धारित की जाय. कम से कम दस रुपये प्रत्येक सप्ताह जोड़कर समूह में जमा किया जाता है. लगभग 30 हजार प्रत्येक समूहों को सरकारी सहायता मिलती है. सरकारी सहायता व दीदियों की बचत राशि इकट्ठे जमा की जाती है. किसी दीदी को पैसे की जरूरत पड़ने पर बैठक होती है और उन्हें पैसे दिये जाते हैं. शादी, इलाज, बिजनेस, घर बनाने व अन्य कार्य के लिए भी राशि दी जाती है.1.31 करोड़ परिवारों को जीविका समूह से जोड़ा गया
जीविका की ओर से राज्यभर में 10.63 लाख स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है. इसमें 1.31 करोड़ परिवारों को समूहों से जोड़ा गया है. 70960 ग्राम संगठन और 1671 संकुल स्तरीय संघ गठित की जा चुकी है.बचत व ऋण के पैसे से व्यवसाय करें दीदियां: मंत्री
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने ऋण व बचत के पैसे से दीदियों को व्यवसाय करने की सलाह दी है. डीडीसी के साथ हुई मीटिंग में भी मंत्री ने इसका आदेश दिया है. मंत्री ने कहा है कि पैसे के निजी उपयोग और फिर इसके रिटर्न से बहुत फायदा नहीं है. इससे व्यवसाय करना चाहिए.
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