Wolves In Bahraich : उत्तर प्रदेश के बहराइच में भेड़िये का आतंक देखा जा रहा था. ये काफी फुर्तीले और चालाक होते हैं, इसलिए उन्हें पकड़ना कोई आसान काम नहीं था. यही वजह है कि बहराइच के सिसिया गांव में आतंक मचाने वाले भेड़िये वन विभाग की टीम की पहुंच से बाहर था, लेकिन अंतत: उसे पकड़ लिया गया. 25 टीम लगातार सर्च ऑपरेशन चला रही थी. पिछले 45 दिनों में तीनों ने छह बच्चों सहित सात ग्रामीणों की जान भेड़िये ले चुके था.
प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऑपरेशन की ऑन-स्पॉट रिपोर्ट के लिए बुधवार को वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना को ग्राउंड जीरो पर भेजा था. 48 घंटे से तलाश जारी थी. इसके बाद भी टीम के हाथ खाली थे. टीम को आखिरकार बुधवार सुबह 9.30 बजे उम्मीद की किरण दिखी, जब ड्रोन ने होली यादव के घर के पास सिसिया गांव के गन्ने के खेतों में तीनों घातक जानवरों को देखा.
बकरी को चारा के रूप में रखकर बिछाया गया जाल
इस संबंध में अंग्रेजी वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया ने खबर प्रकाशित की है. खबर के अनुसार, वन अधिकारी ने बताया कि एक भेड़िया लंगड़ाता हुआ नजर आया, क्योंकि उसके बाएं पैर में चोट लगी है. टास्क फोर्स टीम को लीड कर रहे प्रभागीय वन अधिकारी आकाशदीप बधावन ने बताया कि हम सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं. भेड़िये बहुत चालाक होते हैं और पिछले दो प्रयासों में जब हम उन्हें पकड़ने के करीब पहुंचे, लेकिन वे भागने में सफल रहे. उन्होंने बताया कि इस बार हमने एक बकरी को चारा के रूप में रखकर जाल बिछाया.
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वन अधिकारी ने बताया कि हमने भेड़ियों को भगाने के लिए गांवों की गलियों में हाथी का गोबर और मूत्र को फैला दिया. जब गोबर को आग लगाई जाती है, तो उसमें से ऐसी गंध आती है जो हाथियों की मौजूदगी के रूप में काम करती है, जो भेड़ियों जैसे शिकारियों को दूर भगाने के लिए कारगर होते हैं.
लोग कर रहे हैं ‘हनुमान चालीसा’ का जाप
जैसे-जैसे रात होती है लोग टेंशन में आ जाते थे. वन विभाग की टीमें सतर्क थीं और उनकी नजर भेड़ियों को ढूंढ़ रही थी. ग्रामीण भी बुराई को दूर भगाने के लिए भगवान की पूजा कर रहे थे. अधिकांश लोग ‘हनुमान चालीसा’ का जाप कर रहे थे. होली यादव, जिनका घर गन्ने के खेत के पास है, जहां भेड़िये के छिपे होने की आशंका थी, उनका मानना है कि प्रार्थना और मंत्रोच्चार भेड़ियों को भगा देंगे. यादव ने कहा, मैं इस गांव में पैदा हुआ, लेकिन मैंने ऐसा हमला कभी नहीं देखा. बच्चों को बाहर न निकलने के लिए कहा गया है और ग्रामीण दोपहर में भी अपने घरों को बंद रहते हैं.