Organ Donation: अंगदान से दूसरों के जीवन को बचाने में मदद मिलती है. देश में अंगदान को लेकर लोगों में जागरूकता की काफी कमी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अंगदान करने के लिए लोगों को आगे आने की अपील की थी. अंगदान को लेकर जागरूकता फैलने से कई लोगों को नयी जिंदगी हासिल हो सकती है. शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अंगदान को लेकर तकनीक, प्रक्रिया और कानून में आवश्यक सुधार विषय पर चिंतन शिविर का आयोजन किया. इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव एलएस चांगसन ने कहा कि अंगदान को जीवन जीने का तरीका बनाना होगा ताकि हम ऐसे मरीजों को एक नया जीवन दे सकें जिनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया है. मृत्यु के बाद अंगदान करने वाला एक व्यक्ति आठ ऐसे रोगियों को नया जीवन दे सकता है जो अलग-अलग प्रकार की अंग विफलताओं से पीड़ित हैं. उन्होंने देश में अंगदान की बड़ी जरूरत को पूरा करने के लिए मृत्यु के बाद अंगदान को बढ़ावा देने की पर जोर दिया. इस मौके पर स्वास्थ्य सेवाओं (डीजीएचएस) के महानिदेशक डॉक्टर अतुल गोयल , राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) के निदेशक डॉक्टर अनिल कुमार और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की संयुक्त सचिव वंदना जैन समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे. यह चिंतन शिविर शनिवार को भी जारी रहेगा.
क्यों जरूरी है अंगदान
ऑर्गन डोनेशन इंडिया के अनुसार भारत में पांच लाख लोगों को हर साल ऑर्गन ट्रांसप्लांट की जरूरत है. लेकिन देश में सिर्फ 50 हजार से अधिक अंग ही मौजूद है. केंद्र सरकार ने अंगदान और प्रत्यारोपण के लिए एक देश, एक नीति को लागू करने का फैसला लिया है और इस बाबत राज्यों से विचार-विमर्श जारी है. सरकार सरकारी संस्थानों में, अंग प्रत्यारोपण के लिए बुनियादी ढांचे को तैयार करने और प्रशिक्षित कर्मचारियों की उपलब्धता में सुधार करने की दिशा में काम कर रही है. इसके लिए अंगदान जन जागरूकता अभियान शुरू किया है. चिंतन शिविर के दौरान अंग प्रतिरोपण को बढ़ाने के लिए जरूरी सुधारों करने, अंगदान और आवंटन प्रक्रियाओं में सुधार के लिए आधुनिक तकनीक का प्रयोग, मौजूदा कानून में जरूरी सुधार जैसे विषयों पर मंथन किया जाएगा. साथ ही कानूनी कमियों को दूर करने, एक देश, एक नीति, पारदर्शिता सुनिश्चित करने, इकोसिस्टम में सुधार लाने , अंग प्रत्यारोपण को सस्ता, सुलभ और न्यायसंगत बनाने के लिए रोडमैप तैयार करने जैसे विषयों पर विचार किया जाएगा. चिंतन शिविर में राज्यों, गैर सरकारी संगठनों, अंग प्रतिरोपण समितियों के प्रतिनिधि, पेशेवर और विभिन्न सरकारी और निजी संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हो रहे हैं.