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Jamshedpur News: अस्पतालों में मरीज जमीन पर इलाज कराने को मजबूर, इमरजेंसी और वार्ड में बेड फुल

एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ रवींद्र कुमार ने कहा कि बरसात में वायरल फीवर के मरीजों की संख्या हर साल बढ़ जाती है. वहीं, अस्पताल में बेड की संख्या सीमित है. जितना संभव होता है, अतिरिक्त बेडों को लगाया जाता है.

Jamshedpur News : बारिश के मौसम में सर्दी, जुकाम और बुखार के साथ गंदगी, मच्छरों के प्रकोप तथा प्रदूषित जल के सेवन से डायरिया, मलेरिया, डेंगू , वायरल फीवर समेत अन्य कई तरह की बीमारियां तेजी से फैलने लगी हैं. वहीं, बारिश में त्वचा व आंखों से संबंधी कई तरह के रोगों की चपेट में भी लोग आ रहे हैं. जिले के प्रमुख अस्पताल एमजीएम व सदर अस्पताल में भी इन दिनों पहुंचने वाले मरीजों में अधिकतर में बरसाती बीमारियों के लक्षण पाये जा रहे हैं. इस समय अस्पताल में सबसे ज्यादा वायरल फीवर के मरीज पहुंच रहे हैं. इसके कारण अस्पतालों में बेड की कमी हो गयी है, जिससे मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है. अस्पतालों में मरीजों को स्ट्रेचर, कुर्सी व जमीन पर लेटाकर इलाज किया जा रहा है. इसमें सबसे ज्यादा एमजीएम अस्पताल की स्थिति खराब है. इमरजेंसी व वार्ड में बेड से अधिक मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है.

एमजीएम के मेडिसिन विभाग में प्रतिदिन पहुंच रहे 200 से 250 मरीज

बरसात का मौसम शुरू होने के बाद एमजीएम अस्पताल में प्रतिदिन 1200 से ज्यादा मरीज इलाज कराने के लिए आ रहे हैं. इनमें 200 से 250 मरीज मेडिसिन विभाग में अपना इलाज कराते हैं. इनमें इस समय 15 से 20 मरीजों की स्थिति गंभीर होने के कारण उन्हें भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. एमजीएम अस्पताल के मेडिसिन विभाग के डॉ बलराम झा ने बताया कि बरसात के मौसम में प्रदूषित पानी पीने, बाहर का खाना खाने, घर के आसपास पानी जमा होने से मच्छरों के प्रकोप के कारण कई प्रकार की बीमारियां फैल रही हैं. उन्होंने बताया कि इस समय सबसे ज्यादा मरीज शरीर के दर्द, सिर दर्द, खांसी, बुखार के पहुंच रहे हैं. बुखार तीन से चार दिनों में ठीक हो जा रहा है. वहीं, खांसी व बदन दर्द को ठीक होने में एक सप्ताह से ज्यादा समय लग रहा है. इसके कारण लोग कमजोर हो जा रहे हैं. इसके साथ ही मरीज का बीपी कम हो जा रहा है, जिससे उनको भर्ती करने की जरूरत हो रही है. उन्होंने बताया कि पहले अस्पताल के ओपीडी में प्रतिदिन 100 से 150 मरीज आते थे, लेकिन अभी उनकी संख्या बढ़कर 200 से 250 हो गयी है. वार्ड में बेड फुल होने के कारण बरामदा में बेड लगाकर मरीज का इलाज किया जा रहा है. अस्पताल के इमरजेंसी, मेडिसिन विभाग के साथ गायनिक विभाग में बेड की काफी कमी है. गायनिक विभाग में भी मरीजों को जमीन पर लेटाकर इलाज किया जा रहा है.

बिना डॉक्टरी सलाह के एंटीबायोटिक दवा खाना खतरनाक

एमजीएम अस्पताल के एचओडी डॉ बलराम झा ने बताया कि लोग बुखार या सर्दी खांसी होने पर तुरंत मेडिकल दुकान से दवा लेकर खा रहे हैं. इसमें दुकानदार एंटीबायोटिक दवा दे रहे हैं, जो सेहत के लिए काफी खतरनाक है. उन्होंने कहा कि अभी किसी वायरस के कारण बीमारी हो रही है, यह बिना जांच किये नहीं पता चलता है. एंटीबायोटिक दवा किसी खास वैक्टिरिया पर ही काम करता है. यहां कई प्रकार के वैक्टिरया उपलब्ध हैं. इसलिए जांच कराने के बाद ही दवा लेनी चाहिए. इसके साथ ही अगर मरीज को पहले कोई गंभीर बीमारी है, तो उसके अनुसार की दवा दी जाती है. किसी भी मरीज को बिना डॉक्टर को दिखाये अपने से दवा लेकर नहीं खाना चाहिए.

जय बांग्ला बीमारी के बढ़े मरीज

बरसात के मौसम में आंखों की बीमारी कंजक्टिवाइटिस (जय बांग्ला ) तेजी से फैल रही है. इसमें आंखें लाल होने के साथ सूज जाती हैं. इसे ठीक होने में पांच से छह दिन लग जाते हैं. एमजीएम अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ एमएम जमाल ने बताया कि नेत्ररोग विभाग में इसके प्रतिदिन 20 से 25 मरीज आ रहे हैं. अगर किसी को कंजक्टिवाइटिस बीमारी होती है, तो मेडिकल दुकान से दवा न लेकर डॉक्टर को दिखाएं. स्कूली बच्चे इस बीमारी की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं. यह एक संक्रामक बीमारी है, जो संपर्क के जरिये एक से दूसरे व्यक्ति में फैलती है.

खुजली की बीमारी के अधिक आ रहे मरीज

बरसात के मौसम में चर्म रोग, घमौरी, फोड़े-फुंसी आदि होने की आशंका बहुत अधिक बनी रहती है. ये सभी फंगल इंफेक्शन के रूप हैं, जो नमी के कारण समस्या पैदा करते हैं. एमजीएम अस्पताल के चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ एएन झा ने बताया कि 150 से 200 मरीज प्रतिदिन चर्म रोग ओपीडी में आ रहे हैं, जिनमें बरसाती बीमारियों के ज्यादा मरीज होते हैं. बरसात के मौसम में खान-पान में अनियमितता, पोषक तत्वों की कमी रोगों को बढ़ावा देती है. पहले ओपीडी में 100 से 130 मरीज इलाज कराने आते थे.

सदर अस्पताल के मेडिसिन ओपीडी में बढ़े मरीज

बरसात में खासमहल स्थित 100 बेड के सदर अस्पताल में इलाज कराने आने वाले मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. इनमें वायरल फीवर के अधिक मामले आ रहे हैं. सदर अस्पताल के डॉ रंजीत कुमार पांडा ने बताया कि पहले अस्पताल में 200 से 300 मरीज इलाज कराने के लिए आते थे, लेकिन अभी इनकी संख्या बढ़कर 500 से ज्यादा हो गयी है. इनमें 100 से ज्यादा मरीज सिर्फ मेडिसिन में इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं. इनमें कई मरीजों की स्थिति ज्यादा खराब होने के कारण उनको भर्ती कर इलाज किया जाता है. अस्पताल में बेड की कमी व मरीज की स्थिति को देखते हुए एमजीएम व अन्य अस्पताल रेफर किया जाता है. शुक्रवार को सदर अस्पताल में 544 मरीज इलाज कराने के लिए पहुंच थे.

कौन सी बीमारी होती है बरसात में ?

बरसात में होने वाली बीमारियां
चर्म रोग
कारण : नमी, अनियमित आहार, शरीर की सफाई न रखना, कब्ज और एलर्जी
लक्षण : खुजली, त्वचा का लाल होना, फुंसी और फंगल
बचाव : नियमित तौर पर शरीर की सफाई करें, संतुलित आहार और मौसमी फल खाएं, पत्तेदार सब्जियों, उड़द की दाल और तली-भुनी चीजों खाने से बचें, खाने में सलाद शामिल करें. सुबह उठने के बाद 2-3 गिलास गुनगुना पानी पीने के 10-15 मिनट बाद शौच जाएं, सिंथेटिक कपड़े न पहनें
डायरिया
कारण : प्रदूषित खाना खाने, दूषित जल का सेवन
लक्षण : पेट में दर्द, पतला दस्त होना, चक्कर आना व उल्टी होना
बचाव : बासी खाना व गंदा पानी न पीयें, खुले में बिकने वाले खाद्य सामग्रियों से परहेज करें, पानी उबाल कर पीयें
नेत्र रोग
कारण : संक्रमण से यह बीमारी फैलती है, जो संपर्क के जरिये एक से दूसरे में होती है
लक्षण : आंख लाल होना, जलन, खुजली, चुभन, तेज दर्द, सूजन, आंख से पानी गिरना, पलकों पर चिपचिपाहट और आंख में बार-बार कीचड़ का जमा होना.
बचाव : स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें, आंखों को बार-बार हाथ न लगाएं, खुजली होने पर आंखों को बिल्कुल मले नहीं, आई ड्रॉप डालने से पहले और बाद में हाथों को साबुन से अवश्य धो लें, बिना डॉक्टर की सलाह के दवा न लें. इस बीमारी से ग्रसित मरीज की चीजें जैसे तौलिया, बिछावन, तकिया आदि का इस्तेमाल नहीं करें.
मलेरिया
कारण : मादा एनोफिल मच्छर के काटने से यह बीमारी होती है.
लक्षण : जाड़ा देकर बुखार आना, सिर में काफी दर्द होना, बदन में दर्द होना, उल्टी होना
बचाव : घर के आसपास पानी जमा न होने दें, सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें. शाम में बाहर निकलते समय पूरी बांह के कपड़े पहनें. घर के पास की नाली में पानी जमा न होने दें, खुले स्थानों पर एंटी मॉस्किटो क्रीम लगाएं.
डेंगू
कारण : यह एडिस मच्छर के काटने से होता है.
लक्षण : बदन के जोड़ों में दर्द होना, बुखार होना, सिर में दर्द होना, चलने में कठिनाई होना.
बचाव : एडिस मच्छर घर में रखे साफ पानी में पनपते हैं. घर के आसपास किसी बर्तन, टायर, गमला, कूलर में पानी जमा न होने दें.
वायरल फीवर
कारण : मौसम में हो रहे परिवर्तन, बारिश में भींगने और संक्रमण से यह बीमारी होती है.
लक्षण : बदन व सिर में दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव, भूख कम लगाना, उल्टी आना, बुखार होना.
बचाव : खान-पान पर ध्यान दें. घर के आसपास पानी व कचरा जमा न होने दें

जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त बेड लगाये जाते हैं : अधीक्षक

एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ रवींद्र कुमार ने कहा कि बरसात में वायरल फीवर के मरीजों की संख्या हर साल बढ़ जाती है. वहीं, अस्पताल में बेड की संख्या सीमित है. जितना संभव होता है, अतिरिक्त बेडों को लगाया जाता है. इसे बाद भी मरीजों को बेड नहीं मिल पाता है. सरकारी अस्पताल है, इसलिए यहां से मरीजों को लौटाया भी नहीं जा सकता है. इसके कारण थोड़ी परेशानी बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि अभी अस्पताल में 1300 से 1400 मरीज इलाज कराने के लिए आ रहे हैं. इनमें जिनकी स्थिति ज्यादा खराब होती है, उनको भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. इमरजेंसी में 50 बेड होने के बाद भी समस्या आ रही है, जिसको देखते हुए इमरजेंसी में मरीज की स्थिति को थोड़ी भी ठीक होती है, तो तुरंत उसको वार्ड में भेजने के लिए कहा गया है, ताकि यहां बेड खाली हो सकें.

एमजीएम व सदर में दवा की कमी नहीं

एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ रवींद्र कुमार ने कहा कि बरसात में होने वाली बीमारी को देखते हुए अस्पताल में काफी मात्रा में दवाओं की खरीदारी की गयी है. इसके साथ ही जो दवा कम पड़ती है, उसको तुरंत मांगा लिया जाता है. वहीं सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ बी साहा ने बताया कि अस्पताल में इलाज कराने आने वाले मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो इसको ध्यान में रखते हुए हर प्रकार की दवा मंगायी गयी है. यहां दवाओं की कमी नहीं है. इसके साथ ही एमजीएम व सदर अस्पताल के इमरजेंसी में 24 घंटे डॉक्टर मौजूद रहते हैं.

क्या कहते हैं मरीज

मेरी बेटी को दो दिनों से बुखार व बदन में कंपन हो रहा है. इसके साथ ही ठंड लग रही है. उसको इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल लेकर आया. यहां बेड नहीं मिलने के कारण जमीन पर ही लेटाकर इलाज किया जा रहा है. एक तो मरीज को ठंड लग रही है, वहीं जमीन भी ठंडा है, जिससे ज्यादा परेशानी हो रही है. -मंगल मुर्मू, निरूडीह, आदित्यपुर

कल रात में मुझे कुछ काट लिया. क्या काटा है, इसकी जानकारी नहीं है. तबीयत अच्छी नहीं लग रही है, जिसके कारण इलाज कराने के लिए एमजीएम अस्पताल पहुंचा. यहां मुझे भर्ती कर लिया गया, लेकिन कर्मचारियों ने बताया कि बेड नहीं है. स्टूल पर बैठाकर पानी चढ़ाया जा रहा है. कल रात से ही हम स्टूल पर ही बैठे हुए हैं.
-पंकज झा, बर्मामाइंस

मुझको बुखार होने के साथ ही हाथ व पैर में काफी दर्द हो रहा है. जिसके कारण कल रात लगभग 11 बजे एमजीएम अस्पताल के इमरजेंसी में भर्ती हुआ. लेकिन, अभी तक बेड नहीं मिला. इससे के कारण स्टूल पर बैठाकर पानी चढ़ाया जा रहा है. स्टूल पर बैठे-बैठे मेरे कमर में दर्द हो गया है. यहां बोलने से कर्मचारी बोलते हैं कि जहां बेड खाली है, खोज कर वहां सो जायें.

-राजेश तंतुबाई, कदमा

कल राम में घर में सोयी थी, उस समय सांप ने काट लिया. इससे मेरी स्थिति खराब हो गयी. इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल आयी. जहां डाक्टरों द्वारा इमरजेंसी में भर्ती कर इलाज किया जा रहा है, लेकिन बेड नहीं मिलने के कारण जमीन पर बैठी हुई हूं. आज तक बेड नहीं मिला.
-उर्मिला, रघुनाथ पुर

मेरी भाभी को दो दिनों से उल्टी व दस्त की शिकायत है. इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल लेकर आया. यहां बेड नहीं मिलने के कारण स्ट्रेचर पर ही लेटाकर इलाज किया जा रहा है.

-सुशांत कैवर्तो, कमलपुर

मेडिसिन विभाग (ओपीडी )
दिनांक मरीजों की संख्या
एक अगस्त- 173
दो अगस्त- 149
तीन अगस्त- 204
पांच अगस्त-197
छह अगस्त-174
सात अगस्त-176
आठ अगस्त-244
नौ अगस्त-169
दस अगस्त- 240
12 अगस्त- 228
13 अगस्त-247
14 अगस्त-231
23 अगस्त- 151
24 अगस्त-203
26 अगस्त- 241
27 अगस्त-218
28 अगस्त- 233
29 अगस्त- 209

30 अगस्त- 205

चर्मरोग विभाग (ओपीडी )
दिनांक मरीजों की संख्या
एक अगस्त- 185
दो अगस्त- 85
तीन अगस्त- 139
पांच अगस्त-248
छह अगस्त-233
सात अगस्त-211
आठ अगस्त-211
नौ अगस्त-199
दस अगस्त- 250
12 अगस्त- 204
13 अगस्त-217
14 अगस्त-211
16 अगस्त-03
17 अगस्त-03
19 अगस्त-03
20 अगस्त- 17
21 अगस्त-05
22 अगस्त-18
23 अगस्त- 104
24 अगस्त-180
26 अगस्त- 237
27 अगस्त-185
28 अगस्त- 232
29 अगस्त- 247

30 अगस्त- 225

एमजीएम किस विभाग में कितना बेड
मेडिसिन- 120 (20 अतिरिक्त बेड )
ईएनटी- 10
आई-10
आर्थो-60
सर्जरी-120
गायनिक-80 (इसके अलावे अतिरिक्त बेड )
चर्म रोग विभाग- 20
बच्चा वार्ड- 40
इमरजेंसी-50
बर्न वार्ड- 20

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