मोहनपुर : स्थानीय किसानों ने सरकार की ओर से कराये जानेवाले भूमि सर्वेक्षण में विसंगतियों का आरोप लगाया है. इन आरोपों से संबंधित एक ज्ञापन उन्होंने राज्य के भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग में सचिव जय सिंह को सौंपा. गंगा नदी के तट के किसान इससे पूर्व राज्य के भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल को भी ज्ञापन दे चुके हैं. धरनी पट्टी पूर्वी व धरनी पट्टी पश्चिमी पंचायत के किसानों ने बताया है कि गंगा नदी से हुए कटाव के कारण करीब ढाई दशकों से उनकी कृषि भूमि अधिकांशतः गंगा नदी के जल क्षेत्र के रूप में रहती है. इन भूखंडों पर साल में एक फसल होती है. बरसात के समय में बाढ़ और जलजमाव का असर रहता है. सरकारी सर्वे नीति के अनुसार अब जलजमाव वाले या निचले स्तर के भूखंड सरकारी हो जायेंगे, उनपर कृषकों का कब्जा नहीं रह पायेगा. किसानों ने बताया है कि ऐसे सैंकड़ों हेक्टेयर जमीन सरकार पहले ही अधिग्रहित कर चुकी है, जिस कारण उनकी कृषि भूमि छिन गयी है. किसानों ने इस ओर ध्यान दिलाया कि उनकी जीविका का और कोई साधन नहीं है, कृषि भूमि पर से उनका कब्जा नहीं रहने से उनकी जीविका पर बुरा असर पड़ेगा. किसानों ने सचिव जय सिंह को बताया कि वे भूमि सुधार मंत्री से पहले ही मिलकर इस आशय की गुहार लगा चुके हैं, मंत्री ने सर्वेक्षण नीति में परिवर्तन करने का आश्वासन भी दिया था. लेकिन, अब तक इस संबंध में कोई अधिसूचना जारी नहीं की गयी. किसानों के प्रतिनिधि मंडल ने बैद्यनाथ पंडित प्रभाकर, उदयशंकर राय, धरनीपट्टी पूर्वी पंचायत के पूर्व के पूर्व मुखिया अजय कुमार सिंह, धरनीपट्टी पश्चिमी के मुखिया सुरेंद्र कुमार राय , पूर्व जिला पार्षद अशोक कुमार राय सम्मिलित रहे. सचिव से मिलने के बाद इन किसान प्रतिनिधियों ने बताया कि उनकी समस्याओं के संबंध में जिला भू-अर्जन पदाधिकारी को निर्देश जारी किए जाने का आश्वासन दिया गया है.
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