Emergency Movie Controversy : ‘कंट्रोवर्सी क्वीन’ कंगना रनौत के साथ एक और विवाद जुड़ गया है. इंदिरा गांधी के जीवन पर बनी इस फिल्म को छह सितंबर को रिलीज होना था, लेकिन यह मूवी फंस गई है क्योंकि सीबीएफसी (Central Board of Film Certification) ने उसे अपना सर्टिफिकेट नहीं दिया है. इस तरह की सूचना सामने आ रही है कि सेंसर बोर्ड के लोगों को जान से मारने की धमकी दी जा रही है. शिरोमणि अकाली दल की ओर से इस फिल्म के रिलीज को रोकने के लिए लीगल नोटिस भी दी गई है. कंगना रनौत ने सोशल मीडिया पर अपना फ्रस्ट्रेशन भी दिखाया है. आखिर कंगना रनौत की मूवी इमरजेंसी में ऐसा है कि सेंसर बोर्ड को धमकी मिल रही है और कंगना भी निशान है, पढ़िए पूरी बात.
फ्रस्ट्रेशन में है कंगना रनौत
अभिनेत्री से नेता बनी कंगना रनौत हिमाचल प्रदेश के मंडी लोकसभा सीट से सांसद हैं. इन्होंने इमरजेंसी मूवी को डायरेक्ट किया है और इसमें इंदिरा गांधी की भूमिका खुद निभाई है. कंगना ने 30 अगस्त को अपना एक वीडियो सोशल मीडिया में शेयर किया, जिसमें उन्होंने अपना फ्रस्ट्रेशन बताया और कहा कि सीबीएससी ने उनकी मूवी को अपना सर्टिफिकेट नहीं दिया है. ये बात जो चल रही है कि मेरी फिल्म को सर्टिफिकेट मिल गया है वह गलत है. उन्होंने वीडियो में बताया है कि सेंसर बोर्ड को धमकी मिल रही है. जान से मारने की धमकी दी जा रही है कि फिल्म को सर्टिफिकेट ना दिया जाए. कंगना वीडियो में कह रही हैं कि कहा जा रहा है कि इंदिरा गांधी की हत्या ना दिखाई जाए, सिख विरोधी दंगा ना दिखाया जाए, भिंडरावाले को ना दिखाया जाए, तो फिर हम दिखाएं क्या?
फिल्म में सिखों को गलत ढंग से दिखाया गया : अकाली दल
अकाली दल का कहना है कि इस फिल्म में सिखों को गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया है और यह फिल्म धार्मिक भावना को भड़काने वाली है. सीबीएफसी को भेजे गए नोटिस में अकाली दल ने कहा कि इस फिल्म गलत सूचना दी गई है और इतिहास की चीजों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है. यह फिल्म अगर रिलीज हुई तो समाज बंटेगा, यह फिल्म पंजाब के समाज के बारे में भी गलत सूचना दे रही है.
इंटर्न की तरह हैं कंगना, घाघ राजनेता नहीं : अजय ब्रह्मात्मज
फिल्म समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज का कहना है कि इमरजेंसी मूवी अगर विवादों में है, तो उसकी सबसे बड़ी वजह खुद कंगना हैं. वे राजनीतिक मुद्दों पर लगातार बयान दे रही हैं, लेकिन कम जानकारी, लापरवाही और अपनी नादानी की वजह से वे निशाने पर आ गई हैं. आज हम जिस कंगना को जानते हैं उसका जन्म 2014 के बाद हुआ है. उस वक्त से कंगना की नजदीकी बीजेपी से दिखी जा रही है और अब तो वे बीजेपी की सांसद ही बन गई हैं.
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कंगना रनौत राजनीति में तो आ गई हैं, लेकिन वे घाघ नेता नहीं हैं, उन्हें नहीं पता है कि कब और कहां क्या बोलना है और क्या नहीं बोलना है. वे कई बार मीटिंग की अंदरुनी बातों को भी बाहर बोल देती हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि कंगना वही बोल रही हैं जो उन्होंने अपने पार्टी के लोगों को बोलते सुना है, लेकिन उनकी गलती ये है कि वे राजनीति में नई हैं, जैसे किसी संस्थान में कोई इंटर्न होता है , वैसे ही कंगना हैं वे अभी सीख रही हैं और गलतियां कर रही हैं.
अजय ब्रह्मात्मज ने बताया कि ऐसा नहीं होता है कि सीबीएफसी एक बार किसी फिल्म को सर्टिफिकेट दे दिया जाए और फिर उसे रोक दिया जाए. दरअसल यह एक दिन का काम होता है. बोर्ड के लोग मूवी देखते हैं और अगर उन्हें किसी चीज पर आपत्ति होती है तो बता दिया जाता है कि ये नहीं होना चाहिए आप सुधार कर लें और फिर सर्टिफिकेट दे दिया जाता है. बिना सीबीएफसी के सर्टिफिकेट के कोई मूवी रिलीज नहीं हो सकती है.
कंगना के विवादास्पद बयान जिसने हाल में मचाया बवाल
कंगना ने किसान आंदोलन की तुलना बांग्लादेश में हुई हिंसा से कर दी थी और कहा था कि अगर देश में मोदी जी की सरकार नहीं होती तो हमारे देश का हाल भी बांग्लादेश की तरह कर दिया जाता. उन्होंने यह भी कहा था कि किसान आंदोलन में हत्या हो रही थी और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार हो रहा था. कंगना के इस बयान से पार्टी ने किनारा भी कर लिया था और उन्हें इस विषय पर बयान देने से मना कर दिया था. कांग्रेस ने कंगना के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी
कंगना ने कोलकाता दुष्कर्म मामले में भी विवादास्पद बयान दिया और कहा कि वहां योगी जी जैसा नेता होना चाहिए, ताकि दोषी को तुरंत सजा मिल जाती. उन्होंने घटना की सीबीआई जांच की मांग भी की थी.