Bihar News: पटना. किसी भी घर की साज-सज्जा, साफ-सफाई और सुंदरता का श्रेय प्रायः घर की महिलाओं को ही जाता है. यह माना जाता है कि इससे स्त्री के गुणों और शौक का पता चलता है. किसी को चमकीला कलर का इंटीरियर पसंद आता है, तो कोई लाइट कलर्स का प्रयोग करना बेहतर समझती हैं. किसी भी घर में जाकर यह पता लगाया जा सकता है कि उनकी पसंद व नापसंद क्या है. घर को सजाने-संवारने का शौक महिलाओं को शुरुआत से ही रहा है. पर, अब इनका यही शौक प्रोफेशन का रूप ले चुका है. वे अपने इस शौक में थोड़ा क्रिएटिविटी लाकर न सिर्फ अपने घर को बल्कि ऑफिस, होटल, रेस्टोरेंट आदि को भी डेकोरेट कर अच्छी कमाई कर रही हैं बल्कि अपना व परिवार का नाम भी रोशन कर रही हैं.
शुरुआत छोटे प्रोजेक्ट्स से हुई, फिर सिलसिला बढ़ता गया – निमिशा वर्मा, शेखपुरा
शेखपुरा की रहने वाली निमिशा वर्मा आर्किटेक्ट की पढ़ाई कर मुंबई के एक कंपनी में कार्यरत थीं, जिसमें आर्किटेक्ट व इंटीरियर डिजाइनिंग से संबंधित कार्य करती थी. जब वे पटना आयीं, तो यहां के बदलते परिवेश और अपार्टमेंट कल्चर की शुरुआत होता देख उन्हें इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में एक्सप्लोर करने का मौका मिला. क्रिएटिव आइडिया के साथ यहां उन्होंने छोटे-छोटे प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया. वे कहती हैं, शुरुआत में लोग इंटीरियर डिजाइन करना नहीं चाहते थे पर कुछ हाइ क्लास के लोग जो फाइनेंशियली स्ट्रांग थे, उनसे मेरा कॉन्टेक्ट हुआ और मुझे अच्छा काम मिलने लगा. यह सिलसिला 2009 से लेकर अब तक जारी है. ज्यादातर रेसिडेशियल, ऑफिस, कमर्शियल और शोरूम को मैं डिजाइन करती हूं.
चेन्नई से पढ़ाई कर इस क्षेत्र से जुड़ी, शुरुआत में हुई दिक्कत – प्रीति कुमारी, पोस्टल पार्क
मीठापुर पोस्टल पार्क की रहने वाली प्रीति कुमारी 2015 से इंटीरियर डिजाइनिंग का काम कर रही हैं. इसकी पढ़ाई उन्होंने चेन्नई से पूरी की हैं. वे कहती हैं, जब मैंने यहां इंटीरियर डिजाइनिंग के काम की शुरुआत की, तब लोग ज्यादा जागरूक नहीं थे. शुरुआत में काफी दिक्कत हुई. एक-दो जगहों पर जब मैंने काम किया और लोगों को वह पसंद आया, तो धीरे-धीरे काम मिलने लगा. वर्ड टू माउथ के जरिये इस क्षेत्र में मेरी पहचान बनने लगी. अबतक मैं कई अपार्टमेंट, ब्यूटी लैब, विंस्टन होटल, गया के कई प्रोजेक्ट्स, मल्टीप्लेक्स अपार्टमेंट, थिएटर, बच्चों का क्रेच, प्ले एरिया आदि तक को डिजाइन कर चुकी हूं. उनका कहना है कि डिजाइनिंग के क्षेत्र में कोई भी लिमिट नहीं होती है, यदि आपके पास पैसे हैं, तो अपने सपनों के महल में कुछ भी करवा सकते हैं.
ऑफिस, सिनेमा हॉल व कई रेस्त्रां की कर चुकी हूं डिजाइन – प्रणीता
राजापुर पुल की रहनेवाली प्रणीता पिछले 15 साल से इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र से जुड़ी हैं. इन्हें बचपन से ही डिजाइनिंग व घर की साज-सज्जा का शौक रहा है. इसलिए इन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद सीधे आर्किटेक्चर की पढ़ाई करने मुंबई चली गयी. कोर्स पूरा होते ही कुछ दिन वहीं काम किया और फिर पटना चली आयीं. वे कहती हैं, शुरुआती दिनों में काफी स्ट्रगल करना पड़ा. यहां के लोग इससे ज्यादा वाकिफ नहीं थे. पर अब धीरे-धीरे टीवी और फिल्मों में देखकर अपने घर की डिजाइनिंग करने लगे. अब तक मैं कमर्शियल, रेसिडेंशियल,ऑफिस, रेस्ट्रा, कॉर्पोरेट सेक्टर आदि के कई सारे प्रोजेक्ट पर काम कर चुकी हूं. हाजीपुर के एक सिनेमा हॉल, पटना के रेस्त्रां, कॉर्पोरेट में टाटा मोटर के ऑफिस का इंटीरियर डिजाइन कर चुकी हूं.
लाइफ स्टाइल का हिस्सा बन गया है इंटीरियर डिजाइनिंग – पूजा सिंह
सुंदर घर किसको पसंद नहीं. घर को सजाने के हुनर से मेरी अच्छी-खासी कमाई हो जाती है. क्योंकि अब इंटीरियर डिजाइनिंग लाइफ स्टाइल का हिस्सा बन गया है. लोग अपने घर को सजाने के लिए दिल खोल कर खर्च करते हैं. यह कहना है पाटलिपुत्र कॉलोनी की रहने वाली पूजा सिंह का. वे पिछले 20 साल से इंटीरियर डिजाइनर के तौर पर कार्यरत हैं. नयी दिल्ली से इंटीरियर डिजाइनिंग की डिग्री प्राप्त करने के बाद पूजा ने सबसे पहले अपने खुद के घर को डिजाइन किया. फिर दोस्तों के घरों को डिजाइन किया. धीरे-धीरे लोगों तक उनका काम पहुंचने लगा और क्लाइंट भी मिलने लगे. अबतक वे रेजिडेंशियल, कमर्शियल, अपार्टमेंट, बंगलो, पार्लर, बुटीक, रेस्त्रां आदि के लिए काम कर चुकी हैं. वे कहती हैं इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में बहुत संभावनाएं हैं.