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शोध व नवाचार को लेकर भारत में रचनात्मक प्रयास से भारत बनेगा विश्व गुरु : डॉ साकेत

शोध की विधि पद्वति शोध पत्र लेखन के बारे में विद्यार्थियों व शिक्षकों को कराया अवगत

कटिहार. जब तक शोध और नवाचार को लेकर भारत में रचनात्मक प्रयास नहीं होगा. तब तक भारत को विश्व गुरू बनाना मुश्किल होगा. अगर भारत को फिर से विश्व गुरू बनाना है तो शोध आधारित संस्कृति और विचार दर्शन को प्रोत्साहित करना होगा. यह बातें डीएस कॉलेज के गैलरी नंबर वन में शनिवार को आयोजित शोध पत्र लेखन आनंदशाला कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सह महात्मा गांधी केन्द्रीय विवि के मोतिहारी मीडिया अध्यन विभाग के सहायक आचार्य डॉ साकेत रमण ने कही. उन्होंने शोध पत्र लेखन की विधि किस तरीके से शोध पत्र लिखा जाये. उसमें क्या-क्या होना चाहिए और शोध और अनुसंधान में भारत बोध को भारत की संस्कृति को भारत के विचारों को कैसे प्रभावी बनाया जाये. इसको लेकर साकारत्मक पहल करने का आह्वान किया. इससे पूर्व मुख्य अतिथि हिमांशु कुमार वर्मा, क्षेत्र संयोजक भारतीय शिक्षण मंडल, विशिष्ट अतिथि भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांत मंत्री नवीन तिवारी, डॉ संजय कुमार सिंह प्राचार्य डीएस कॉलेज, विशिष्ट अतिथि डॉ अनिल कुमार, प्रांत विवि प्रमुख प्रांत सह सम्पर्क प्रमुख डॉ प्रदीप झा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की. कार्यक्रम की अध्यक्षता डीएस कॉलेज के प्राचार्य डॉ संजय कुमार सिंह ने की. प्रांत सह सम्पर्क प्रमुख डॉ प्रदीप झा समेत अन्य ने अपने-अपने विचार व्यक्त किया. इस दौरान वक्ताओं ने बताया कि भारतीय शिक्षण मंडल अखिल भारतीय स्तर पर विजन फोर विकसित भारत विषय को लेकर शोध पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है. इसमें स्नातक, स्नतकोत्तर, पीएचडी एवं चालीस वर्ष से कम उम्र के शिक्षा में रूचि रखने वाले व्यक्तियों के द्वारा शोध पत्र लेखन आमंत्रित किया गया. मुख्य वक्ता डॉ साकेत रमण ने शोध की विधि पद्वति और शोध पत्र लेखन के बारे में महाविद्यालयों के विद्यार्थियों और शिक्षकों को अवगत कराया. 11 विषयों में शोधार्थियों को जमा करना है शोध पत्र वक्ताओं ने बताया कि इसके अंतर्गत ग्यारह विषय हैं. जिसमें शोधार्थियों को शोध पत्र जमा करना है. उत्तर बिहार प्रांत से कुल पांच हजार विद्यार्थियों ने इस प्रतियोगिता में अपना पंजीयन कराया है. शोध पत्र जमा करने की अंतिम तिथि शनिवार रात्रि बारह बजे तक है. इसमें विद्यार्थी 2047 में भारत पूर्ण विकसित राज्य होगा इसकी संकल्पना को लेकर क्या चिंतन करते हैं. उस पर आधारित शोध आलेख्य लिखेंगे. मौके पर प्रो वीणा रानी, डॉ अरविंद ठाकुर, शैलेन्द्र उपाध्याय, डॉ स्वामीनंदन, डॉ गीतिका, डॉ विलास कुमार झा, डॉ विपाशा राहा, डॉ मदन कुमार झा, डॉ सुमित सिंहा, डॉ शीला कुमार, सक्रिय सदस्य डॉ आशुतोष कुमार सिंह, प्रदीप कुमार, डॉ एए ओंकार, शंभू कुमार यादव, नीतीश भारद्वाज, कौशल किशोर, कुमार आनंद समेत बीएड, स्नतकोत्तर के सभी विभाग के छात्र-छात्राएं मौजूद थे.

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