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दहेज हिंसा, बाल विवाह और कार्यस्थल पर छेड़छाड़ के मामले हुए कम

महिला हिंसा संबंधित मामले का तुरंत हो रहा निबटारा

– महिला हिंसा संबंधित मामले का तुरंत हो रहा निबटारा प्रह्लाद कुमार , पटना बिहार में महिला हिंसा सहित अन्य मामलों का निष्पादन तेजी से हो रहा है. समाज कल्याण विभाग ने बिहार में घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं को परामर्श के माध्यम से घर को टूटने से बचाने, आवश्यकता के अनुसार थानों में मामला दर्ज कराने में मदद, विधिक सहायता आदि उपलब्ध कराने के उदेश्य से राज्य के सभी जिलों में जिला पदाधिकारी के अधीन महिला हेल्पलाइन की स्थापना की गयी है. जहां पिछले तीन वर्षों में आयी शिकायतों का निष्पादन तेजी से हो रहा है. आंकडों के मुताबिक दहेज हिंसा , बाल विवाह, कार्यस्थल पर छेड़छाड़ एवं महिलाओं से होने वाले अन्य तरह के छेड़छाड़ में कमी आयी है. वन स्टॉप सेंटर का यह है आंकड़ा सखी वन स्टॉप सेंटर योजना के तहत हिंसा से प्रभावित महिलाओं को एक ही छत के नीचे आपातकालीन सहायता एवं बचाव सेवाएं, चिकित्सकीय सहायता, पुलिस सहायता, मनोसमाजिक सहयोग, परामर्श, कानूनी सहायता सहित अन्य सुविधाएं दी जाती हैं. आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 में कुल निबंधन 7030 और निष्पादित हुए 6002 , जिनमें घरेलू हिंसा 4725, दहेज हत्या छह, दहेज प्रताड़ना 748, दूसरा विवाह 73 व यौन शोषण 107 मामले दर्ज किये गये. 2022-23 में 8002 मामले निबंधित हुए और 6952 मामलों का निष्पादन हुआ, जिनमें घरेलू हिंसा 5615, दहेज हत्या 62, दहेज प्रताड़ना 708, दूसरा विवाह 71 व यौन शोषण 147 मामले दर्ज किये गये. 2023-24 में राज्य में 7517 मामले हुए दर्ज और निष्पादन 6599 का हुआ है. इस वर्ष भी घरेलू हिंसा 5049, दहेज प्रताड़ना 839, दूसरा विवाह 52, यौन शोषण 129 मामले दर्ज हुए है.इन मामलों में कई मामले गलत भी पाये गये हैं, जिसको लेकर जांच में देरी हो रही है. महिला हेल्पलाइन में आये इतने फोन कॉल महिला हेल्पलाइन में 2021-22 में 78268, 2022-23 में 83233 और 2023-24 मार्च तक 104146 फोन आये है,जिनमें घरेलू हिंसा 3050 मामले व दहेज प्रताड़ना के 794 मामले सहित मानसिक प्रताड़ना,शारीरिक हिंसा,साइबर क्राइम व यौन शोषण सहित अन्य मामलों को लेकर फोन किया गया है. जिसका तुरंत निबटारा भी कर दिया गया. घरेलू हिंसा में कमी के लिए चल रहा है अभियान बिहार में घरेलू हिंसा के मामले को पूर्णत समाप्त करने के लिए विभाग के स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है. शिक्षा के क्षेत्र में लड़कियों को बढ़ाने के लिए उन्हें स्कूल तक जाने की व्यवस्था की जा रही है.

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