Bihar News:बिहार में सरकारी स्कूलों में मिलने वाले मिड डे मील पर bihar सरकार जल्द ही बड़ा बदलाव कर सकती है.बिहार के सरकारी स्कूलों में दोपहर के समय मिलने वाला भोजन अब नौवी और दसवीं तक के छात्रों को भी दिया जा सकता है. 1 से लेकर कक्षा 5 तक के बच्चों को मिड डे मील से पहले ब्रेकफास्ट भी दिया जा सकता है.यह बदलाव तमिलनाडु माडल के आधार पर किया जा सकता है.अगर यह तमिलनाडु माडल बिहार के स्कूलों पर लागू होगा.तो फिर से स्कूल सुबह के 10 बजे से शाम के 4 बजे तक हो सकते हैं
तमिलनाडु की तर्ज मिलेगा मिड डे मील
तमिलनाडु के सरकारी स्कूलों में पहली से 10वीं तक के बच्चों को मिड दिया जाता है.जबकि देश के बाकी राज्यों में सिर्फ आठवीं तक ही दोपहर का भोजन दिया जाता है.बिहार से एक टीम तमिलनाडु गई थी जहाँ पर एक अधिकारी ने उन्हें बताया कि तमिलनाडु में कक्षा 1 से 5वीं तक के बच्चों के लिए cm ब्रेकफास्ट योजना भी चल रही है जिसमें एक से पांचवी तक के बच्चों को मिड डे मील से पहले ब्रेकफास्ट भी दिया जाता है.
तमिलनाडु गई बिहार की टीम वापस लौटी
तमिलनाडु के स्कूलों की कार्य प्रणाली जानने के लिए बिहार की एक टीम तमिल नाडु के दौरे पर गई थी.बिहार की सात सदस्यीय टीम तमिलनाडु में 3 दिन तक रही. यह टीम 22 अगस्त को गई थी और 26 अगस्त को वापस लौट आयी है.
कल्याण विभाग और सिविल फ़ूड डिपार्टमेंट करता है आपूर्ति
तमिलनाडु सरकार ने दोपहर के भोजन और ब्रेकफास्ट की जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग को दे रखी है.समाज कल्याण विभाग और सिविल फ़ूड डिपार्टमेंट रोज नमक दाल चावल की आपूर्ति करता है.इसके बाद आर्गनाइजर मशाले और सब्जी की ले आता है.
रसोइया के पड़ की होती है बहाली
तमिलनाडु में रसोइया के पद की बहाली भी होती है. रिटायरमेंट के साथ साथ अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं. वेतन के रूप में 14 हजार तो रिटायरमेंट के बाद 2 हजार महीना मिलता है. तमिलनाडु के स्कूल सुबह साढ़े 9 बजे से शाम के 4 बजे तक चलते हैं. वहां स्कूल के प्रधनाचार्य को स्कूल खुलने के आधा घंटा पहले आना पड़ता है.
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बिहार के 70 हजार स्कूलों में पौने दो लाख रसोइया बनती है खाना
बिहार में पहली से लेकर 10वी तक 1.84 करोड़ स्टूडेंट हैं.इसमे 9वी और 10वी में कुल 32 लाख विद्यार्थी पढ़ते हैं. सरकारी स्कूलों में 1से 8 तक 1.10 करोड़ बच्चे हैं . बिहार में पौने दो लाख रसोइया 70 हजार स्कूलों में मिड डे मील बनाती और परोसती है.
मिड डे मील की राशि केंद्र सरकार देती है. जलावन और तेल मशाला का खर्च राज्य सरकार उठाती है.तमिलनाडु दौरे पर गई टीम ने अपनी रिपोर्ट बना ली है. जल्द ही रिपोट सरकार को सौंपी जा सकती है.