ठाकुर अनुकूलचन्द्र के अनुयायियों द्वारा सत्संग उपासना केंद्र के प्रांगण में सत्संग का आयोजन किया गया. सत्संग का शुभारंभ बन्देपुरुषोतम ध्वनि व शंख ध्वनि के बीच दीप प्रज्वलित कर किया गया. इसके बाद सामुहिक रूप से नाम जप ध्यान, सत्यानु शरण ग्रंथ व नारी नीति ग्रंथ का पाठ किया गया. संगीतांजली कार्यक्रम में गीता देवी,रामा देवी,चंचला गुप्ता,सत्यवंती देवी तथा विजय नंदन सिन्हा ने भक्ति मूलक भजन प्रस्तुत किया.इष्टचर्चा करते हुये ऋत्विक विजय नंदन सिन्हा ने कहा कि मानव जीवन को धर्म दान करना चाहिये.श्री श्री ठाकुर जी की दीक्षा ग्रहण कर यदि मानव अनवरत सतनाम का जप करता है तो वह व्यक्ति उन्नति के मार्ग पर चलते हुये अपने जीवन का कल्याण कर लेता है.उन्होंने कहा कि इष्टभृति एक महायज्ञ है. इसे प्रतिदिन करने से ईश्वर प्रसन्न होते है.उन्होंने कहा कि वर्तमान समय मे प्रत्येक नारी को अपनी मां के समान होना चाहिए. सत्संगी शक्तिदास सिन्हा ने कहा कि सत्संग के माध्यम से व्यक्ति संत बन जाता है. जिस प्रकार लोहा पारस मनी पत्थर के संपर्क से सोना बन जाता है. ठीक उसी प्रकार सत्संग के माध्यम से व्यक्ति में सज्जनता का गुण आ जाता है और वह व्यक्ति अपने जीवन को सार्थक कर लेता है. उपस्थित लोग : सत्संग में मधु कुमारी,दीप माला,विंदीया,नीलम देवी,रीना जायसवाल,प्रभा देवी,रिशु कुमार, सुजय, विजय,श्रीकांत, रिशु कुमार,भोला प्रसाद,धृतिदीप्त, प्रमोद चौबे व ब्रजेश तिवारी सहित अन्य सत्संगी उपस्थित थे.
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