डुमरांव. लाखन डिहरा गांव में रविवार को किशोर न्याय एवं पाॅक्सो अधिनियम के बारे में लोगों को जानकारी पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव व पीएलवी अनिशा भारती के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दी गई. पैनल अधिवक्ता ने लोगों को बताया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष आनन्द नन्दन सिंह एवं अवर न्यायाधीश सह सचिव नेहा दयाल के मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम चल रहा है. पैनल अधिवक्ता ने नागरिकों को बताया कि किशोर न्याय (बालकों की देख-रेख और संरक्षण) अधिनियम 2015, उन बच्चों से जूडे कानूनों को मजबूत करने और संशोधित करने के लिए बनाया गया था, जिन पर कानून तोड़ने का आरोप लगाया गया है. साथ ही इस अधिनियम का मकसद उन बच्चों की भी देखरेख करने है, जिन्हें बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए देखभाल और संरक्षण की जरूरत होती है. इस अधिनियम के तहत बच्चों के सर्वोत्तम हित में उनके विकास, उपचार, सामाजिक, पुर्नएकीकरण और मामलों के निपटान के लिए बच्चों के अनुकूल दृष्टिकोण अपनाया जाता है. इस अधिनियम की धारा 2(45) के अनुसार छोटे अपराध के लिए 3 वर्ष की सजा है, जबकि गम्भीर अपराध के लिए धारा 2(54) के तहत 3 वर्ष से 7 वर्ष की कारावास की सजा का प्रावधान है. उपस्थित लोगों को पैनल अधिवक्ता ने यह भी बताया कि पॉक्सो अधिनियम को बच्चों के हित और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए बच्चों को यौन अपराध, यौन उत्पीड़न तथा पोर्नोग्राफी के संरक्षण प्रदान करने के लिए साल 2012 में लागू किया गया था. पीएलवी अनिशा भारती ने कहां की व्यापक प्रावधानों के बढ़ती जागरूकता और संवेदनशीलता के साथ मिलकर बच्चों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाने, यौन अपराधियों को रोकने और पीड़ितों को सशक्त बनाने में योगदान दिया है. पैनल अधिवक्ता ने यह भी कहां की संविधान के प्रावधान अनुच्छेद 15 के खंड (3), अनुच्छेद 39 के खंड (ई) और(एफ), अनुच्छेद 47 के तहत राज्य की यह सुनिश्चित करने के लिए शक्तियां प्रदान करते हैं और कर्त्तव्य अपेक्षित करते हैं कि बच्चों की सभी जरूरतें पूरी हो और उनके बुनियादी मानवाधिकारों की पूरी तरह से रक्षा की जाए.
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