बेनीपुर.शिक्षा के अधिकार अधिनियम को सामान्य विद्यालयों में सरकार लागू करने की लिए कृतसंकल्पित दिख रही है. शिक्षकों की बहाली को प्राथमिकता दे रही है. वहीं संस्कृत विद्यालयों में नामांकित बच्चों के भविष्य को कहीं आदेशपाल तो कहीं अवकाश प्राप्त शिक्षक के सहारे छोड़ दिया गया है. क्षेत्र के संस्कृत विद्यालयों में नामांकित बच्चों का भविष्य अधर में लटकता दिख रहा है. वर्ष 1936 में स्थापित देवराम-अमैठी पंचायत के कालिका संस्कृत प्राथमिक सह मध्यविद्यालय देवराम शिक्षकविहीन है. यहां नामांकित 177 छात्र- छात्राओं को पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं है. विद्यालय संचालन की खानापूरी एक अवकाश प्राप्त शिक्षक कर रहे हैं. वे भी प्रभार लेने वाले किसी शिक्षक की प्रतीक्षा में महीनों से टकटकी लगाये हुए हैं. ग्रामीणों के अनुसार कभी यह विद्यालय आधा दर्जन शिक्षक, एक आदेशपाल व सैकड़ों छात्रों से गुलजार हुआ करता था. संस्कृत भाषा के श्लोक पाठ से विद्यालय परिसर गूंजायमान होता रहता था, लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण संस्कृत भाषा की दुर्गति हो रही है. अवकाश प्राप्त शिक्षक उदय चंद्र झा विद्यालय के अस्तित्व की रक्षा के लिए सेवानिवृत्ति के बावजूद विद्यालय संचालन में जुटे हैं. उदय चंद्र झा ने बताया कि गत 29 फरवरी 2024 को सेवानिवृत हुए. उस तिथि से तीन माह पूर्व नियमानुसार डीइओ से लेकर संस्कृत शिक्षा बोर्ड तक को अवकाश ग्रहण की सूचना विधिवत दी, लेकिन आजतक यहां कोई प्रभार लेने नहीं पहुंचे हैं. परिणामस्वरुप पूर्व की भांति आज भी विद्यालय संचालन में जुटा हूं.
छह माह बाद भी नहीं आया कोई शिक्षक
बताया कि सेवानिवृत के छह माह बीत जाने के बावजूद यहां न तो कोई शिक्षक आए हैं और न ही संस्कृत शिक्षा बोर्ड से उन्हें कोई दिशा निर्देश मिला है. बच्चों के भविष्य को देखते हुए पढ़ाई समेत विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र सहित अन्य संचिकाओं का संधारण कर रहा हूं. बताया कि सेवानिवृत के बाद घर बैठ जाता तो विद्यालय में नामांकित 177 बच्चों के भविष्य का क्या होता. इन बच्चों के भविष्य को देखते हुए अवकाश ग्रहण के बावजूद विद्यालय का एचएम बना हुआ हूं. बताया कि विद्यालय में एक एचएम, पांच सहायक शिक्षक व एक आदेशपाल का पद है. आदेशपाल सहित सभी शिक्षक वर्ष 2017 से एक-एक कर सेवानिवृत हो गए, मैं विद्यालय का प्रभार किसे दूं, इसे लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है.अन्य संस्कृत स्कूलों का भी यही हाल
हाल प्रखंड के बहेड़ा, लवानी, नवादा, कल्याणपुर आदि संस्कृत विद्यालय का है. ये सभी विद्यालय शिक्षक व भवनहीन हैं. इसके कारण इन विद्यालयों में नामांकित बच्चों के भविष्य के साथ-साथ विद्यालय के अस्तित्व पर ही संकट मंडरा रहा है. इस संबंध में बीइओ इंदू सिन्हा ने बताया कि कई संस्कृत विद्यालय शिक्षकविहीन है. इन विद्यालयों में शिक्षक की प्रतिनियुक्ति करने का कोई प्रावधान नहीं है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है