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हद है : नगर निगम की सुस्ती की भेंट चढ़ा विद्युत शवदाहगृह, वेंडिंग जोन व राजा तालाब

काम अवार्ड करने तक खूब होती है आपाधापी, इसके बाद नहीं होती योजना की मॉनिटरिंग

नगर निगम में करोड़ों की योजनाएं बनती है. टेंडर होता है. सीएस से लेकर काम अवार्ड करने तक निगम में खूब आपाधापी रहती है. संवेदक को काम अवार्ड होने के बाद योजना शुरू होती है. निगम की सुस्ती व सही से योजना की मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण योजनाएं अधर में लटक जाती है. बात हो रही निगम की तीन महत्वाकांक्षी योजना की. सिर्फ मॉनिटरिंग के अभाव में मात्र 64 हजार क्वायल के कारण विद्युत शवदागृह बंद पड़ा है. लगभग दो-दो करोड़ की लागत से कोहिनूर मैदान व बनियाहीर में वेंडिंग जोन बना, लेकिन आज तक इसमें फुटपाथ को शिफ्ट नहीं कराया जा सका. 2.64 करोड़ की राजा तालाब सौंदर्यीकरण की योजना अधर में लटक गयी. अगर इन योजनाओं की सही से मॉनिटरिंग होती, तो ऐसी स्थिति नहीं होती.

मात्र 63 हजार के क्वायल के लिए बंद है मोहलबनी का विद्युत शवदाह गृह :

2022 में मोहलबनी मुक्तिधाम में 1.56 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक विद्युत शवदाह गृह बनाया गया था. मुश्किल से दो माह भी यह ठीक से नहीं चला और बॉयलर का क्वायल जल गया. मात्र 64 हजार रुपये का क्वायल नहीं बदलने के कारण पिछले नौ माह से विद्युत शवदाह गृह बंद है. संवेदक की सिक्युरिटी मनी से क्वायल बदलना ,है लेकिन क्वायल बदलनेवाली फाइल नगर निगम कार्यालय में गोते खा रहा है. यही हाल मटकुरिया मुक्तिधाम का है. यहां भी विद्युत शवदाहगृह का आधा-अधूरा काम हुआ है. लगभग डेढ़ करोड़ की लागत से विद्युत शवदाहगृह बनना है, लेकिन विभागीय स्तर पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी.

निगम का दो वेंडिंग जोन, नहीं शिफ्ट हुए दुकानदार :

नगर निगम की ओर से कोहिनूर मैदान व बनियाहीर में वेंडिंग जोन बना. लगभग दो-दो करोड़ की लागत से बने वेंडिंग जोन में आज नहीं बस पाया. कोहिनूर मैदान स्थित वेंडिंग जोन का उद्घाटन डेढ़ साल पहले किया गया. लॉटरी से दुकान भी आवंटित की गयी, लेकिन आज तक वेंडिंग जोन में फुटपाथ दुकानदार शिफ्ट नहीं हुए. यही हाल बनियहिर झरिया का है. यहां भी पांच साल पहले वेंडिंग जोन बना, लेकिन एक भी फुटपाथ दुकानदार शिफ्ट नहीं हुए. वेंडिंग जोन में फुटपाथ दुकानदारों को शिफ्ट कराने की जिम्मेदारी नगर निगम प्रशासन की है. सड़क के किनारे से फुटपाथ दुकानदारों को हटाया भी जाता है, लेकिन ठीक दूसरे दिन वहां फुटपाथ दुकानें लगने लगती है. इससे स्पष्ट है कि नगर निगम वेंडिंग जोन में शिफ्ट कराने में पूरी तरह असफल है. करोड़ों की दोनों योजनाएं फेल हो गयी.

निगम की लापरवाही से अधर में लटक गया राजा तालाब का सौंदर्यीकरण :

नगर निगम की लापरवाही के कारण राजा तालाब सौंदर्यीकरण का काम भी अधर में लटक गया. दो करोड़ 64 लाख की लागत से तालाब का सौंदर्यीकरण करना था. पिछले साल धूमधाम के साथ तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए आधारशिला रखी गयी. तालाब का पानी भी बहा कर सौंदर्यीकरण का काम शुरू किया गया. इसी बीच किसी रैयती ने हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर कर दी. हाइकोर्ट के स्टे के बाद पिछले एक साल से तालाब का काम बंद है. स्थिति यह है कि आसपास के लोगों के लिए एकमात्र पानी का स्रोत राजा तालाब सूखा पड़ा है. स्थानीय लोगों ने श्रमदान कर पुन: तालाब के बांध को जोड़ दिया है. तालाब में अब कुछ पानी स्टोर है. इससे स्थानीय लोग रोजमर्रा में उपयोग कर रहे हैं. अगर नगर निगम प्रशासन तालाब के सौंदर्यीकरण के टेंडर करने के पहले कागजात की सही जांच करती, तो आज यह योजना अधर में नहीं लटकती.

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