रांची़ मनरेसा हाउस में रविवार को फादर डॉ कामिल बुल्के की जयंती मनायी गयी. डॉ बुल्के की प्रतिमा पर माल्यार्पण अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गयी. डॉ प्रो मंजु ज्योत्सना ने कहा कि डाॅ कामिल बुल्के के जीवन से प्रेरणा मिलती है. उनके साथ शोध कार्य से जुड़ना सौभाग्य की बात रही. इस कारण ही मैं 34 अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी अनुवाद कर पायी. डाॅ कामिल बुल्के बेल्जियम में जरूर पैदा हुए, लेकिन उनकी आत्मा सच्चे भारतीय की रही. जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएससी) के पूर्व सदस्य रतन तिर्की ने बताया कि संत मरिया महागिरजाघर समीप स्थित मिशन चौक पर इसी माह डाॅ कामिल बुल्के की प्रतिमा स्थापित की जायेगी. प्रतिमा के अनावरण के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह किया जायेगा. इसकी सूचना रांची नगर निगम को दे दी गयी है.
डाॅ बुल्के ने सरल जीवन जीने की सीख दी
फादर जेम्स टोप्पो ने कहा कि डाॅ बुल्के ने अपना जीवन हिंदी साहित्य और संस्कृत भाषा के उत्तरोत्तर विकास में लगा दिया. हरी घाटी नामक पुस्तक में डाॅ बुल्के ने बड़ी ही सरल भाषा में आत्मीयता से सरल जीवन जीने की सीख दी है. संत जेवियर्स कॉलेज के प्राचार्य फादर नाबोर लकड़ा ने कहा कि देश के साहित्य और अनुवाद क्षेत्र में डाॅ कामिल बुल्के का योगदान सराहनीय रहा है. इस अवसर पर सत्य भारती के निदेशक फादर जस्टिन तिर्की, संत जेवियर्स कालेज के पूर्व प्राचार्य फादर निकोलस टेटे, फादर गिलबर्ट डिसूजा, फादर ब्राइस आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है