14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मुख्य सचिव की आपत्ति के बाद भी रेंजर व एसीएफ को सेवा विस्तार, 4 माह से वेतन नहीं

Jharkhand News: रेंजर और एसीएफ को संविदा पर रखने का प्रस्ताव तैयार किया गया था. इसको मुख्यमंत्री रहते हुए हेमंत सोरेन ने इनकार कर दिया था.

Jharkhand News|रांची, मनोज सिंह : झारखंड सरकार ने वन विभाग में पदस्थापित सहायक वन संरक्षक (एसीएफ) और वन क्षेत्र पदाधिकारियों (रेंजर) को सेवा विस्तार दिया है. सेवा विस्तार मिलने के बाद एक दर्जन से अधिक अधिकारी विभिन्न प्रक्षेत्र में काम कर रहे हैं.

पूर्व मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने इनको सेवा विस्तार देने से इनकार कर दिया था. इससे पूर्व में भी इनको रेंजर और एसीएफ को संविदा पर रखने का प्रस्ताव तैयार किया गया था. इसको मुख्यमंत्री रहते हुए हेमंत सोरेन ने इनकार कर दिया था.

मुख्यमंत्री पद से हेमंत सोरेन के इस्तीफा देने के बाद इनको सेवा विस्तार दे दिया गया था. सेवा विस्तार पानेवाले अधिकारियों को अब तक वेतन नहीं मिला है. चार माह से ऐसे अधिकारी पदस्थापित हैं. महालेखाकार ने आरटीआइ से प्राप्त जानकारी में बताया है कि सेवा विस्तार पाने वाले अफसरों को अब तक वेतन पर्ची निर्गत नहीं किया गया है.

23 साल के इतिहास में ऐसा नहीं हुआ

झारखंड के तत्कालीन वन सचिव ने 2023 में प्रस्ताव तैयार किया था. इसमें लिखा था कि वन विभाग में सहायक वन संरक्षक का कुल 156 पद स्वीकृत हैं. इसके विरुद्ध 24 सहायक वन संरक्षक ही काम कर रहे हैं. दिसंबर 2023 में इनकी संख्या 19 हो जायेगी.

सहायक वन संरक्षक की नियुक्ति नियमावली तैयार होने का कार्य अंतिम चरण में है. नियमावली अधिसूचित होने के बाद नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद तीन-चार साल लगेंगे. पूर्व में संविदा के आधार पर नियुक्ति होती थी. इसमें वांछित सफलता नहीं मिली थी. इसको देखते हुए सहायक वन संरक्षकों को सेवा विस्तार दिया जा सकता है.

यह फाइल जब मुख्य सचिव सुखदेव सिंह के पास गयी, तो उन्होंने लिखा था कि गत 23 वर्षों में राज्य सेवा के किसी भी पदाधिकारी को सेवा विस्तार नहीं दिया गया है. अत: नयी परंपरा की शुरुआत करना श्रेयष्कर नहीं होगा. अत: इस प्रस्ताव को अस्वीकार किया जा सकता है.

2020 में संविदा पर नियुक्ति से सीएम कर चुके थे इनकार

मुख्यमंत्री रहते हुए हेमंत सोरेन वन विभाग के इस तरह के प्रस्ताव पर इनकार कर चुके थे. तत्कालीन सचिव इंदुशेखर चतुर्वेदी द्वारा भेजी गयी फाइल में उन्होंने लिखा था कि वन क्षेत्र पदाधिकारी के पद पर संविदा पर नियुक्ति प्रशासनिक दृष्टिकोण से उचित नहीं है. उसी वक्त उन्होंने पूछा था कि किसी सेवा के नियमावली गठन और उसके आधार पर नियुक्ति एवं पदस्थापन में क्या चार साल लगेगा?

Also Read : उत्पाद सिपाही बहाली की दौड़ में गई विकास की जान, परिजनों ने लगाया ये आरोप

Jharkhand Trending Video

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें