23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पारंपरिक कृषि व्यवस्था पर बाजारवाद हो रहा हावी

पारंपरिक कृषि व्यवस्था पर बाजारवाद हो रहा हावी

कई विभेद की फसलों की खेती विलुप्त हो गयी है राजेश सिंह,पतरघट कोसी क्षेत्र के जल जीव फल जीव सहित धरती के सबसे छोटे प्राणी चींटी से लेकर आकाश में विचरण करने वाले चील, गिद्ध, कौवे, जैसे जैविक विविधता वाले पक्षी भी अब मानवीय गलतियों के कारण विलुप्ति के कगार पर पहुंच गये हैं. आलम यह है कि पारंपरिक कृषि व्यवस्था पर बाजारवाद के हावी होने से कोसी क्षेत्र के किसानों की प्रमुख फसलें खैरही, कौनी, जौ, बाजरा, तीसी, कुरथी, मडुआ, तुलबुली, मक्का, देसी अरहर, धान की फसलों में देशरीया, रानी शुक्ला, पैरवा पैख, चननचुर जैसे कई विभेद की फसलों की खेती विलुप्त हो गयी है. जबकि इन सभी फसलों में पर्याप्त औषधीय गुण भी पाये जाते हैं. लेकिन किसानों के बीच हाइब्रिड बीज से खेती के बढ़ते रूझान के कारण सभी देशी विभेद की फसल विलुप्त हो गयी है. एक समय कोसी के इलाके में खैरही का भुजा एवं भात मडुआ की रोटी के साथ पोठिया देसी मछली का अलग आनंद व स्वाद हुआ करता था. इसी तरह पूर्व में कोसी के इलाके में देसी अरहर की खुशबू ओर मोटे-मोटे धान की किस्मों में देशरीया, तम्हा, रानी, शुक्ला सहित अन्य धान की खेती से संपूर्ण इलाका वीरान हो गया है. किसानों की कोठी एवं बखारी भी सुनसान हो गयी है. देसी किस्म की फसलों के अनाज में समुचित रूप से औषधीय गुणों के साथ साथ पौष्टिकता भी हुआ करती है. लेकिन हाइब्रिड की चकाचौंध और बढ़ते बाजारवाद के बीच गेंहू के साथ घुन भी पीसे जाने वालीं कहावत बनकर रह गयी है. अब किसानों ने भी देसी फसलों के साथ-साथ हरी सब्जियों की खेती भी बिल्कुल छोड़ दी है. जबकि देसी किस्म की खेती में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, फास्फोरस, लौह अयस्क सहित अन्य लाभकारी रसायनिक अवयव पाये जाते हैं. चिकित्सक के अनुसार मोटे अनाजों का सेवन मधुमेह, एनिमिया, हृदय रोग, पथरी जैसी कई अन्य बीमारियों के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. उन्होंने बताया कि ऐसा भी नहीं है कि इन अनाजों की बाजार और मांग की जरूरत बिल्कुल खत्म हो गयी है. कृषि विभाग के द्वारा इन चीजों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है. वैसे भी बदलते मौसम चक्र एक फसल खेती से हो रहे नुकसान आदि को देखते हुए मोटे अनाज की खेती भविष्य में उम्मीद की किरणों के सामान हो गयी है. जबकि बहुफसलीय खेती से न केवल कृषि का विकास होता है बल्कि खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ समुचित पोषण एवं स्वास्थ्य की बेहतरीन गारंटी भी रहती थी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें