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सेवा भक्ति कीजिये और सब्र रखिये, जरूर होंगे परमात्मा के दर्शन

कर्म ही धर्म है, सेवा परमो धर्म. अपना कर्म अपना धर्म के अनुसार करें अथवा अपने कर्म को सत्यता के साथ करें. उसका कर्म, ही धर्म बन जाएगा.

जलालगढ के ठाकुरबाड़ी में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत महापुराण से वातावरण भक्तिमय , जलालगढ़. कर्म ही धर्म है, सेवा परमो धर्म. अपना कर्म अपना धर्म के अनुसार करें अथवा अपने कर्म को सत्यता के साथ करें. उसका कर्म, ही धर्म बन जाएगा. उक्त बातें जलालगढ के ठाकुरबाड़ी में सात दिवसीय श्रीमद भागवत महापुराण के तीसरे दिन श्रीधाम वृंदावन के दिनेशानंद स्वामी ने कहीं. कहा कि धर्म के वशीभूत होकर ही व्यक्ति परमात्मा को पा लेगा. परमात्मा की कृपा प्राप्त हो जाएगी. सेवा का अर्थ भजन होता है. सेवा करके परमात्मा को पाया जा सकता है. जैसे सबरी मैया ने प्रभु राम को पाया. वह माला भी नहीं जपती थी और कीर्तन भी नहीं करती थी. केवल सेवा करती थी. सेवा करके सबरी मैया ने अपनी सेवा भक्ति से राम को अपनी कुटिया में बुला लिया. स्वामी दिनेशानंद उपाध्याय जी महाराज ने कहा कि सबरी मैया के चरित्र से हमे यह ज्ञात होता है कि भक्ति मार्ग में सब्र की आवश्यकता है. सब्र के नाम पड़ा सबरी. भगवान सब्र से प्राप्त होते हैं. भगवान के लिए सेवा करते भक्ति करते हुए प्रतीक्षा करें. जल्दीबाजी ना करें. परमात्मा को पाना जल्दीबाजी नहीं है. इसे सफल बनाने में स्थानीय ठाकुरबाड़ी सहित क्षेत्र के भागवत प्रेमी जुटे हुए हैं. भागवत का समापन 5 सितंबर को होगा.

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