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नये वेतन समझौते की मांग पर मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी अस्पताल के श्रमिकों ने किया प्रदर्शन

रानीगंज के मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी अस्पताल में बीते आठ माह से नया वेतन समझौता न किये जाने के विरोध में तथा अस्थायी कर्मियों को स्थायी करने की मांग सहित चार सूत्री मांगों के समर्थन में सोमवार को सीटू से संबद्ध अस्पताल इम्प्लाइज यूनियन की ओर से अस्पताल के गेट के बाहर प्रदर्शन किया गया.

रानीगंज.

रानीगंज के मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी अस्पताल में बीते आठ माह से नया वेतन समझौता न किये जाने के विरोध में तथा अस्थायी कर्मियों को स्थायी करने की मांग सहित चार सूत्री मांगों के समर्थन में सोमवार को सीटू से संबद्ध अस्पताल इम्प्लाइज यूनियन की ओर से अस्पताल के गेट के बाहर प्रदर्शन किया गया. प्रदर्शन के दौरान सीटू नेता दिब्येंदु मुखर्जी ने कहा कि एक ओर राज्य में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की घटना को लेकर अस्पताल व्यवस्था में सुधार को लेकर पूरे राज्य में मांग चल रही है. यहां के विधायक और सांसद दोनों ही तृणमूल कांग्रेस के हैं, लेकिन इन श्रमिकों की असुविधा को लेकर उनका कोई ध्यान नहीं है. वहीं दूसरी ओर रानीगंज के मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी अस्पताल में बीते आठ माह से नया वेतन समझौता प्रबंधन द्वारा नहीं किया जा रहा है. यह अस्पताल एक ट्रस्ट द्वारा संचालित है. आसपास के हजारों लोगो का यहां इलाज होता है लेकिन इस अस्पताल के एक संचालक अस्पताल में हिटलरशाही चलाते हैं. इस अस्पताल को वह अपनी पैतृक संपत्ति समझते हैं. लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि अस्पताल में सैकड़ों कर्मी कार्यरत हैं और श्रमिकों की मांग पूरी करनी होगी.

वहीं अस्पताल इम्प्लाइज यूनियन के सचिव प्राण माझी ने बताया कि चार सूत्री मांगों के तहत बीते 22 दिसंबर को तीन वर्षों के वेतन समझौता की मियाद पूरी हो गयी है. तब से प्रबंधन ने आज तक अस्पताल के कर्मियों के नये वेतन समझौते को लेकर टालमटोल कर रहा है. अस्पताल के दो कर्मियों को बीते सात माह से हटा दिया गया है. उन्हें तत्काल कार्य पर वापस लाना होगा. साथ ही अस्थायी कर्मियों को स्थायी करना होगा. उन्होंने कहा कि इन मांगों को लेकर प्रबंधन को सात दिनों का समय बातचीत के लिए दिया गया है. अन्यथा संगठन जोरदार आंदोलन करेगा. दूसरी और इन आरोपों को लेकर रानीगंज मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी अस्पताल के प्रमुख राजेंद्र प्रसाद खेतान ने कहा कि अस्पताल के कर्मियों द्वारा लगाये गये आरोप निराधार हैं.

जिस अनुपात में श्रमिक संगठन श्रमिकों का वेतन बढ़ाना चाह रहे हैं और नया वेतन समझौता चाह रहे हैं, अस्पताल प्रबंधन द्वारा वह राशि वहन करना मुश्किल है, क्योंकि यह अस्पताल निरंतर घाटे में चल रहा है. अस्पताल के जो विकास के कार्य हैं वह दानदाताओं के चंदे से किये जा रहे हैं. इस कठिन परिस्थिति में भी अस्पताल के कर्मियों का वेतन नियमित रूप से दिया जा रहा है. वहीं अन्य आरोपों को लेकर उन्होंने किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से इनकार किया.

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