16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

छपरा : छह साल में 34 बार आया प्रस्ताव, लेकिन अब तक नहीं बन सका वेंडिंग जोन

शहर में वर्ष 2018 में ही फुटपाथी दुकानदारों के लिए वेंडिंग जोन बनना था. लेकिन, छह साल बीत जाने के बाद भी आज तक इसको लेकर कोई पहल नहीं हुई. ऐसे में शहर के फुटपाथी दुकानदारों को सड़क पर ही अपनी दुकान लगानी पड़ती है. इस कारण आये दिन शहर में जाम की समस्या खड़ी हो रही है.

छपरा. शहर में वर्ष 2018 में ही फुटपाथी दुकानदारों के लिए वेंडिंग जोन बनना था. लेकिन, छह साल बीत जाने के बाद भी आज तक इसको लेकर कोई पहल नहीं हुई. ऐसे में शहर के फुटपाथी दुकानदारों को सड़क पर ही अपनी दुकान लगानी पड़ती है. इस कारण आये दिन शहर में जाम की समस्या खड़ी हो रही है. वहीं साल में पांच से छह बार इन फुटपाथी दुकानदारों पर कार्रवाई भी होती है और उनकी दुकान तोड़ दी जाती है. इस कारण इनके रोजी-रोटी पर भी संकट की स्थिति बनी रहती है. बीते छह सालों में नगर निगम के बोर्ड की बैठक या सामान्य बैठक के दौरान करीब 34 बार विभिन्न वार्ड पार्षदों ने शहर में वेंडिंग जोन बनाये जाने का प्रस्ताव रखा. कई बार प्रस्ताव पर सहमति भी बनी. एक-दो बार इसके लिए जगह चिह्नित करने की प्रक्रिया भी हुई. लेकिन, विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए आज तक निर्माण कार्य शुरू नहीं कराया जा सका. 2018 में वेंडिंग जोन के मॉडल को मिला था अप्रूवल : शहर में करीब 2000 फुटपाथी दुकानदार हैं, जिन्हें नगर निगम से टोकन प्राप्त है. वर्ष 2018 में स्थायी वेंडिंग जोन बनाने की कवायद शुरू हुई थी. प्रारूप के तौर पर डाकबंगला रोड के समीप एक आठ बाइ 10 का शेड भी तैयार किया गया था, जिस पर स्वीकृति मिलने के बाद डाकबंगला रोड, गांधी चौक, अलियर स्टैंड आदि स्थानों पर फुटपाथी दुकानदारों के लिए स्थायी वेंडिंग जोन बनाना था. हालांकि 2019 के अंत में कोरोना आ गया, जिसके बाद कार्य पेंडिग रह गया. वर्ष 2023 के मई में तत्कालीन मेयर राखी गुप्ता ने भी पार्षदों के साथ बैठक की थी, जिसमें भिखारी चौक व साहेबगंज में दो जगहों पर वेंडिंग जोन बनाने पर सहमति बनी. लेकिन, उसके बाद से वह पद से हट गयीं. इस कारण वह योजना भी अधूरी रह गयी. इसके पहले वर्ष 2021 में भी पांच जगहों पर वेंडिंग जोन बनाने पर सहमति बनी थी. लेकिन, उनमें से कई जगहों पर डबल डेकर निर्माण कार्य के कारण बाधा उत्पन्न हो गयी और यहां वेंडिंग जोन नहीं बन सका. दुकानों की बढ़ती संख्या से लग रहा जाम : विगत कुछ सालों में शहर में फुटपाथ किनारे चलने वाली दुकानों की संख्या बढ़ी है. जिस कारण शहर की सड़कें संकरी होती जा रही हैं. शहर के साहेबगंज, अस्पताल चौक, मौना व सरकारी बाजार के इलाकों में 40 से 50 फुट चौड़ी सड़कें 15 से 20 फुट में तब्दील हो गयी हैं, जिस कारण आये दिन जाम की समस्या उत्पन्न होती है. वहीं, प्रशासन द्वारा साल में दो बार अतिक्रमण हटाने के नाम पर इन दुकानदारों पर कार्रवाई की जाती है, जिससे उनके रोजगार पर संकट बना रहता है. शहर को नया कलेवर दे सकते हैं फुटपाथी दुकान : शहर के प्रायः सभी हिस्सों में फुटपाथी दुकानें लगती हैं. ब्रह्मपुर से लेकर गांधी चौक के बीच अलग-अलग स्थानों पर लगभग 2000 फुटपाथी दुकानें लगती हैं. इनमें से अधिकतर गरीब परिवार के लोग होते हैं. इन दुकानों में सतुआ, भूंजा, सीजनल फल, समोसा, चाउमीन, गोलगप्पे, कैलेंडर व फूल, स्ट्रीट फूड बेचने से लेकर साइकिल व बाइक का पंचर बनाने वाले भी शामिल होते हैं. इनकी रोजाना की कमाई 200 से 500 रुपये के बीच है. अगर सही तरीके से शहर के फुटपाथों को विकसित किया गया और महानगरों के तर्ज पर इन्हें व्यवस्था दी जाये, तो इनका रोजगार भी समृद्ध होगा और शहर को भी एक नया कलेवर मिलेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें