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150 वर्ष बाद फिर जीवंत हो उठा एनिकट

1874 ईस्वी में बना एनिकट 150 वर्षों के बाद एक बार फिर जीवंत हो उठा. अंग्रेजों ने देश की प्रथम बांध प्रणाली की शुरुआत डेहरी के इसी एनिकट से की थी. एनिकट बांध का पानी शाहाबाद प्रक्षेत्र में धमनियों की तरह नहर के माध्यम से पसरा हुआ था.

मुकेश पांडेय, डेहरी. 1874 ईस्वी में बना एनिकट 150 वर्षों के बाद एक बार फिर जीवंत हो उठा. अंग्रेजों ने देश की प्रथम बांध प्रणाली की शुरुआत डेहरी के इसी एनिकट से की थी. एनिकट बांध का पानी शाहाबाद प्रक्षेत्र में धमनियों की तरह नहर के माध्यम से पसरा हुआ था. कालांतर में एनिकट बांध धीरे धीरे बेकार हो गया. इसकी जगह 1967-68 ईस्वी में इंद्रपुरी बराज ने ले ली. तब से एनिकट एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में जाना जाता रहा. अब जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को एनिकट में 1347.32 करोड़ रुपये की लागत से औरंगाबाद-डेहरी-सासाराम पेयजल आपूर्ति योजना का शिलान्यास किया, तो एनिकट एक बार फिर जीवंत हो उठा. अब यह तीन शहरों औरंगाबाद, डेहरी और सासाराम के लोगों को पेयजल देगा.

1870 ईस्वी में शुरू हुआ था एनिकट का निर्माण

एनिकट बियर एवं सोन नहर परियोजना की परिकल्पना 1870 ईस्वी में शाहाबाद में कार्यरत ब्रिटिश सैन्य अभियंता सीएच डीकेन्स ने पुराने शाहाबाद जिले के विशाल क्षेत्र को सिंचाई प्रदान करने के उद्देश्य से किया की. डेहरी में सोन नदी पर बना एनिकट बियर उस समय देश में किसी भी नदी पर बनी इस तरह की पहली सफल संरचना थी. चार साल के अंतराल में 1874 ईस्वी में इसका निर्माण कार्य पूरा करा लिया गया था. सोन नदी में एनिकट बांध की ऊंचाई 14 फीट और लंबाई 12469 फीट में थी. इसकी पूरी संरचना पत्थरों से तैयार की गयी थी.

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