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जंक फूड मतलब सेहत से खिलवाड़

आज की जेनरेशन जंक फूड ज्यादा पसंद करते है जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होता है. आज के दौर में लगभग सभी उम्र के लोगों में अनहेल्दी फूड हैबिट्स काफी ज्यादा बढ़ गयी है.

जूही स्मिता,पटना

आज की जेनरेशन जंक फूड ज्यादा पसंद करते है जो हमारे शरीर के लिए नुकसानदायक होता. आज के दौर में लगभग सभी उम्र के लोगों में अनहेल्दी फूड हैबिट्स काफी ज्यादा बढ़ गयी है. डॉक्टर्स से लेकर डायटिशियन हर कोई जंक फूड से दूरी रखने को कहते हैं और घर के बने खाना खाने को कहते है जिसमें बैलेंस्ड डायट शामिल हो. जहां पहले के समय में लोग घर के पारंपरिक खाने के साथ-साथ सीजनल हरी सब्जियां, फल और सलाद खाते थे. अब लोग बाहर का खाना पसंद करते जो पाचन तंत्र के साथ सेहत को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं. समय की मांग है कि हम फिर से अपने पारंपरिक खाने को अपनाएं और बाहर के खाने से दूरी बनाएं. शरीर के लिए पोषण की जरूरत के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से भारत सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा हर साल 1-7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है. इस वर्ष की थीम है शुरुआत से ही सही तरीके से भोजन देना. हमारा शरीर स्वस्थ तभी होगा जब उसे जरूरी मात्रा में पौष्टिक तत्व मिलते रहेंगे.

जंक फुड खाने के नुकसान : व्यस्त जीवनशैली में जंक फूड ने अपना अहम जगह बना लिया है. इस दौर में लोग रास्ते चलते जंक फूड को नाश्ते के तौर पर सेवन करने लगे हैं. बच्चों से बड़ों तक सभी जंक फूड के मुरीद हो चुके हैं. बर्थ डे पार्टी, कॉर्पोरेट पार्टी या फैमिली पार्टी सभी में जंक फूड अनिवार्य सा हो गया है, नहीं तो पार्टी अधूरी मानी जाती है. ऑफिस कैंटिन से लेकर गली-मुहल्लों तक सभी जगह समोसा, कचौड़ी, बर्गर, पिज्जा, रोल, मोमोज, फ्रैंच फ्राई, वड़ा पाव आसानी से मिुल जाते हैं और लोग इसका आनंद बड़े चाव से लेते हैं, पर इसके कई नुकसान है. जंक फूड या फास्ट फूड ऐसे पदार्थ है, जो बहुत तैलिय और उच्च कैलोरी वाला होता है. वहीं इसमें अधिक मात्रा में शुगर, सॉल्ट, संतृप्त वसा पाया जाता है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी मुकसानदायक होता है. फूड से कई बीमारिया कम उम्र में हो रही हैं, जिनमें ही बीपी, कॉलेस्ट्राल, हार्ट से संबंधित और डायबिटिज जैसी बीमारियां हैं.

संतुलित आहार के साथ स्वस्थ पोषण महत्वपूर्ण :

एक संतुलित आहार के साथ स्वस्थ पोषण एक स्वस्थ दिल, मस्तिष्क और कुल भलाई के लिए महत्वपूर्ण है. इसके अलावा, यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली, ऊर्जा के स्तर में सुधार करेगा और आपकी उम्र को लगातार बढ़ाएगा. आप मोटापे के हानिकारक प्रभावों को भी नकार सकते हैं और सुरक्षित रह सकते हैं. उदाहरण के लिए, ओमेगा-3 फैटी एसिड मस्तिष्क कोशिकाओं के निर्माण और मरम्मत में मदद करते हैं. विटामिन डी जैसे पोषक तत्व, विटामिन सी और विटामिन ई को पोषक तत्वों और खाद्य पदार्थों के रूप में पहचाना जाता है जो संज्ञानात्मक गिरावट और मनोभ्रंश से बचाते हैं.

हर दिन 400-500 ग्राम फल और हरी सब्जियां जरूर खाएं :

वरिष्ठ फिजिशियन डॉ निखिलेश्वर प्रसाद वर्मा बताते हैं कि आज के समय की मांग है कि आप जंक फूड को ना कहे और बैलेंस्ड डायट लें जिसमें साबूत अनाज, दाल, हरी साग-सब्जियां, लीन मीट शामिल हो. हर दिन 400-500 ग्राम फल और हरी सब्जियां जरूर खाना चाहिए, बाजार में मिलने वाली पॉलिस्ड खाद्य पदार्थों से परहेज करें क्योंकि इससे सारा फाइबर निकला हुआ होता है. तेल का इस्तेमाल कम करें. प्रति व्यक्ति एक महीने में आधा लीटर मिक्स तेल का इस्तेमाल करें. हफ्ते में मिलेट्स का सेवन करें. सत्तु में हाइ प्रोटीन और हाइ फाइबर होता है. बाहर में मिलने वाले जूस या पैकेज़्ड जूस का सेवन करने से परहेज करें. इस बात ख्याल रखें कि एक थाली के चार हिस्सों में ये खाद्य पदार्थ जरूर हों. थाली के आधे हिस्से में हरी सब्जी, एक चौथाई हिस्सा चावल, रोटी और एक चौथाई हिस्सा प्रोटीन ( दाल, मछली, चिकन) हो. सलाद का सेवन प्रचुर मात्रा में लें. पानी भी प्रचुर पीएं.

पारंपरिक व्यंजनों से जुड़ें, सलाद के साथ बैलेंस्ड मील लें :

डायबीटिज एंड ओबेसिटी केयर सेंटर बोरिंग रोड की सीनियर डायटिशियन सुमिता कुमारी बताती हैं कि जो टीनएज बच्चे होते हैं उन्हें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन जरूर दें. इसके साथ ही कार्बोहाइड्रेट, फाइबर भी जरूर दें. कोशिश करें बच्चे फल खाएं, जूस नहीं पीएं. जो ऑफिस जाने वाले हैं वे रोजाना अंकुरित चना लें, ड्राय फ्रूट्स का सेवन करें. रोजाना व्यायाम करें. नाश्ता अच्छे से करें जिसमें इडली, दलिया, मल्टीग्रेन रोटी, पोहा आदि हो. खाने से पहले प्रचुर मात्रा में सलाद लें. व्यस्क लोग सलाद में दो खीरा, एक गाजर, एक प्याज और एक टमाटर शामिल करें. पानी रोजाना 6-8 लीटर सेवन करें. घर की बनी लस्सी और छांछ आपके पानी की मात्रा को बैलेंस करते हैं. फास्ट फूड बिल्कुल न खाएं. अगर खाते हैं तो महीने में एक बार. पारंपरिक व्यंजन लिट्टी, पिट्ठा, दाल पिट्ठी, गुड़ गुलगुला, पुआ, साग, हरी सब्जियां आदि का सेवन करें. पैरेंट्स को भी अपने पारंपरिक व्यंजनों से जुड़ना होगा और शॉर्टकट की जगह बैलेंस मील शामिल करना होगा.

डाइट में स्वस्थ आहार लें :

स्वस्थ आहार कैसा दिखता है, यह हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकता है, यह आपकी संस्कृति, आप कहां रहते हैं और स्थानीय रूप से कौन सा भोजन उपलब्ध है, इस पर निर्भर करता है. फिर भी, सिद्धांत समान हैं. भोजन में अधिक फाइबर वाले स्टार्च वाले खाद्य पदार्थ जैसे आलू, ब्रेड, चावल या पास्ता शामिल करें. कुछ डेयरी या डेयरी विकल्प (जैसे सोया पेय) कुछ बीन्स, दालें, मछली, अंडे, मांस और अन्य प्रोटीन खाएं. असंतृप्त तेल और स्प्रेड चुनें, और उन्हें कम मात्रा में खाएं. हर दिन कम से कम पांच भाग विभिन्न प्रकार के फल और सब्जियां खाएं. संतुलित और विविधतापूर्ण आहार का ध्यान रखें और अपने दैनिक भोजन की योजना बनाते समय फलों, सब्जियां, साबुत अनाज, फलियां और मेवे को ध्यान में रखें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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