जमुई. जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिये चिंता का विषय बना हुआ है. जलवायु परिवर्तन से प्रभावित देश के सबसे प्रभावित 50 जिलों में से 14 जिले बिहार से हैं. इनमें से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में से एक जमुई जिला है. इस बाबत जानकारी देते हुए डीडीसी सुमित कुमार ने कहा कि इसका दुष्प्रभाव जिले के किसानों, मजदूरों, महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सब पर पड़ रहा है. कृषि उपज, रोजगार पर भी इसका बुरा असर अब साफ दिखने लगा है. मौजूदा हालात को देखते हुए मुखिया महासंघ ने जिले को जलवायु समर्थ बनाने का प्रण लिया है. जिसकी शुरुआत मंगलवार को जिला को जलवायु समर्थ बनाने में पंचायती राज व्यवस्था की भूमिका पर नगर क्षेत्र के सिरचन नवादा स्थित साधना पैलस में मुखिया महासंघ ने असर सोशल इम्पैक्ट, रिजेनेरेटिव बिहार, ग्रीन गोपालपुर मिशन और पीडीएजी के साथ मिलकर एक-दिवसीय मंथन शिविर से की है. इस एक दिवसीय मंथन शिविर में 70 से अधिक पंचायती राज के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और जिले को जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए तैयार करने के उपायों पर गहन चिंतन किया. उन्होंने कहा कि जलवायु संकट को अगर आज नजरंदाज किया गया तो बाद में इसे कभी भी सुधारा नहीं जा सकेगा. यह संकट हर किसी को प्रभावित कर रहा है और इसका निदान अभी ढूढना जरूरी है. वन प्रमंडल पदाधिकारी तेजस जायसवाल ने वन,पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से जिले को जलवायु समर्थ बनाने की मुखिया महासंघ व नागरिक संगठनों के इस अभियान को पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया. डीडीसी सुमित कुमार ने प्रतिभागी मुखिया, पंचायत समिति सदस्यों, प्रखंड प्रमुख व जिला परिषद सदस्यों के इस अनूठे कदम की प्रशंसा करते हुए उसे हर संभव समर्थन देने की बात कही. इस जिला परिषद सदस्या सलौनी मूर्मू, जिला मुखिया संघ के अध्यक्ष जमादार सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी ब्रजेश कुमार, पूर्व सीओ निर्भय प्रताप सिंह, संतोष कुमार सुमन, धीरज कुमार सिंह, इश्तेयाक अहमद समेत दर्जनों लोग मौजूद थे.
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