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दो माह पहले 75 प्रतिशत अनुदान में बांटी गयी थी बकरियां, कई लाभुकों के बकरियों की हुई मौत

आर्थिक उन्नयन के लिए 30 यूनिट बकरी का हुआ था वितरण, एक-एक यूनिट में था चार बकरी व एक बकरा

बोआरीजोर प्रखंड के लाभुकों के बीच आर्थिक उन्नयन को लेकर मुख्यमंत्री पशुधन योजना के तहत वितरित किये गये बकरियों में से कई लाभुकों की बकरियां मर गयी है. प्रखंड क्षेत्र में करीब दो माह पहले बकरियों का वितरण किया गया था, मगर कुछ ही दिनों बाद एक-एक कर दो लाभुकों की सभी बकरियां मर गयी. आर्थिक रूप से गरीब ऐसे परिवारों में आदिवासी संताल के साथ कुड़मी महतो लाभुक भी शामिल हैं. परिवार को जब बकरियां मिली तो लाभुक प्रसन्न थे, मगर धीरे-धीरे बकरियों की मौत के बाद लोगों की पूरी उम्मीद ही टूट गयी. यह मामला प्रखंड के दो पंचायतों का है. मामला डकैता पंचायत के कुसमा गांव एवं नीमाकला पंचायत के हिजुकित्ता गांव की बतायी जा रही है. डकैता गांव की रहने वाली देवीमय मरांडी व हिजुकित्ता गांव के कैलाश महतो को पशुपालन विभाग की ओर से जुलाई माह में पशुधन योजना के तहत पांच-पांच सेट दिया गया. एक सेट में चार बकरी व एक बकरा का वितरण किया गया. प्रखंड के कुल 30 लाभुकों के बीच योजना के तहत बकरी मिली. इनमें प्रखंड के डकैता, कुसमा, इटहरी, बंगामा, हिजूकिता आदि गांव में 30 गरीब व्यक्तियों को आर्थिक विकास के लिए चार बकरी एवं एक बकरा दिया गया था. देवीमय मरांडी व कैलाश महतो को मिलने वाले पशुधन के तहत स्वीकृत कुल 24800 की राशि में एसटी व एससी लाभुकों के बीच 90 प्रतिशत की सब्सिडी एवं पिछड़ी जाति व अन्य के लिए 75 प्रतिशत की सब्सिडी के तहत पशुधन दिया गया. उक्त दाेनों लाभुकों ने नियम के तहत अपनी ओर से देय अंशदान के तहत बकरी घर ले आया.

स्वीकृत राशि में दी जानी थी दवा एवं इंश्योरेंस का लाभ

बकरी पालन के लिए बकरियों के साथ-साथ उक्त लाभुकों के बीच स्वीकृत राशि में से दवा के साथ बीमा कराना भी स्वीकृत था. पशुपालन विभाग की ओर से लाभुकों के लिए जिले के किसी एजेंसी के माध्यम से बकरी खरीदकर लाभुक को दिया गया.

बकरी के मरने के बाद किसी ने नहीं ली सुधि

दोनों लाभुकों ने जानकारी में बताया कि घर लाने के बाद बकरियां लगातार बीमार होने लगी. कमजोर व अच्छी नस्ल की बकरी नहीं रहने की वजह से कुछ दिनों के बाद खाना-पीना बंद कर दिया व देखते ही देखते एक-एक कर सभी की मौत हो गयी. बताया कि बकरी के लिए ना तो दवा दी गयी थी और ना ही बीमा कराया गया था. लाभुक देवीमय मरांडी ने बताया कि बकरी की मौत की जानकारी मिलने पर पशुपालन विभाग को सूचना दी गयी, मगर किसी ने भी सुधि नहीं ली. बगैर पोस्टमॉर्टम के ही मृत बकरियों को जमीन में दफन कर दिया गया. आसपास के लोगों ने बताया कि बकरी के पालन पोषण के लिए चारा की राशि भी सरकार द्वारा दी गयी थी, मगर लाभुक को नहीं मिला. देवीमय मरांडी ने कहा कि बकरी लेने के लिए जमा की गयी राशि भी बर्बाद हो गयी. खराब नस्ल की बकरी दिए जाने से बकरी की मौत हो गयी. वहीं कैलाश महतो ने बताया कि पदाधिकारी की मनमानी व इस तरह से याेजनाओं में बेहतर पशु नहीं दिये जाने की वजह से योजना का लाभ नहीं मिल पाया.

‘क्षेत्र में बकरी के मरने की सूचना मिली है. मामले को लेकर विभाग की ओर से जांच करायी जा रही है. इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

– डॉ बालेश्वर, प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी, बोआरीजोरB

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