22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

माता रानी और शरद ऋतु के आगमन का एहसास करा रहीं कास के फूलों की अठखेलियां

माता रानी और शरद ऋतु के आगमन का एहसास करा रहीं कास के फूलों की अठखेलियां

गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस में वर्षा ऋतु का वर्णन करते हुए लिखा है-””फूले कास सकल महि छाई, जनु बरसा कृत प्रकट बुढ़ाई”” अर्थात कास नामक घास में फूल आ जाने पर वर्षा ऋतु का बुढ़ापा आने लगता है. यानी माॅनसून के समापन की बेला आने लगती है. सकल महि छाई अर्थात चहुंओर कास फूलने पर वर्षा बूढ़ी होने के संकेत मिलने लगते हैं. सितंबर का महीना इसी का संकेत होता है. अगस्त के तीसरे हफ्ते से ही धनबाद कोयलांचल में कास के फूल लहलहाने लगे. इससे पता चलता है कि वर्षा के बाद शरद ऋतु आने वाली है. आसमान में छाये सफेद-काले बादलों के साथ धरती पर जगह-जगह फैले सफेद कास के फूल देवी (शारदीय नवरात्र) के आगमन का भी एहसास करा रहे हैं. इन दिनों जहां भी नजर दौड़ाएं, लंबे-लंबे कास के फूल मंद-मंद बहती हवाओं के साथ अठखेलियां करते मन को ऐसे प्रफुल्लित करते हैं, मानों पूरी प्रकृति देवी दुर्गा के स्वागत को आतुर हो रही हो. दरअसल, वर्षा ऋतु के समापन एवं शरद ऋतु के आगमन के दौरान पहाड़ी इलाकों, खेतों की मेढ़ों व नदियों के तट पर कास के फूल लहराते नजर आते हैं. कास के फूलों की चर्चा न सिर्फ गोस्वामी तुलसीदास, बल्कि महाकवि कालिदास तक ने भी की है. इतना ही नहीं, इस फूल के बारे में गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर और काजी नजरुल इस्लाम ने भी अपनी कविताओं में जिक्र किया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें