Doctor Safety: कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से बलाल्कार और हत्या की घटना के बाद देश में मेडिकल पेशेवरों ने सुरक्षा की मांग को लेकर लंबे समय तक प्रदर्शन किया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दखल और सुरक्षा संबंधी उपाय सुझाने के लिए कमेटी के गठन के बाद डॉक्टरों ने धरना- प्रदर्शन करना बंद किया. इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने बुधवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश को पत्र लिखकर डॉक्टरों और अन्य मेडिकल पेशेवरों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा है. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 10 सितंबर तक इस बाबत जवाब देने को कहा गया है. पत्र में कहा गया है कि 28 अगस्त को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में डॉक्टरों और मेडिकल पेशेवरों को सुरक्षा मुहैया कराने के कई अहम पहलुओं पर चर्चा की गयी थी. पत्र में कहा गया है कि राज्यों को मेडिकल कॉलेजों में सुरक्षा ऑडिट कराने, संवेदनशील संस्थानों की पहचान करने, सीसीटीवी से निगरानी, स्थानीय पुलिस के साथ बेहतर समन्वय बनाने, सुरक्षा कमेटी का गठन, संस्थानों में सुरक्षा जांच संबंधी व्यवस्था और अन्य उपाय सुनिश्चित करने को कहा गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा को लेकर गठित की है कमेटी
डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए डॉक्टरों के प्रतिनिधि और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच कई दौर की बातचीत हुई. डॉक्टरों की मांग थी कि मेडिकल संस्थानों में डॉक्टरों और अन्य पेशेवरों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार एक सख्त कानून बनाए. कोलकाता मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई की और मेडिकल संस्थानों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कमेटी के गठन का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कमेटी का गठन हो चुका है और कमेटी विभिन्न हितधारकों से चर्चा शुरू भी कर चुकी है. इस मामले में कमेटी जल्द ही रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट सुरक्षा को लेकर जरूरी दिशा-निर्देश जारी कर सकता है.
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कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से बलाल्कार और हत्या की घटना के बाद देश में मेडिकल पेशेवरों ने सुरक्षा की मांग को लेकर लंबे समय तक प्रदर्शन किया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के दखल और सुरक्षा संबंधी उपाय सुझाने के लिए कमेटी के गठन के बाद डॉक्टरों ने धरना- प्रदर्शन करना बंद किया. इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने बुधवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश को पत्र लिखकर डॉक्टरों और अन्य मेडिकल पेशेवरों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा है. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 10 सितंबर तक इस बाबत जवाब देने को कहा गया है. पत्र में कहा गया है कि 28 अगस्त को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में डॉक्टरों और मेडिकल पेशेवरों को सुरक्षा मुहैया कराने के कई अहम पहलुओं पर चर्चा की गयी थी. पत्र में कहा गया है कि राज्यों को मेडिकल कॉलेजों में सुरक्षा ऑडिट कराने, संवेदनशील संस्थानों की पहचान करने, सीसीटीवी से निगरानी, स्थानीय पुलिस के साथ बेहतर समन्वय बनाने, सुरक्षा कमेटी का गठन, संस्थानों में सुरक्षा जांच संबंधी व्यवस्था और अन्य उपाय सुनिश्चित करने को कहा गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा को लेकर गठित की है कमेटी
डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए डॉक्टरों के प्रतिनिधि और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच कई दौर की बातचीत हुई. डॉक्टरों की मांग थी कि मेडिकल संस्थानों में डॉक्टरों और अन्य पेशेवरों की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार एक सख्त कानून बनाए. कोलकाता मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई की और मेडिकल संस्थानों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कमेटी के गठन का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कमेटी का गठन हो चुका है और कमेटी विभिन्न हितधारकों से चर्चा शुरू भी कर चुकी है. इस मामले में कमेटी जल्द ही रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट सुरक्षा को लेकर जरूरी दिशा-निर्देश जारी कर सकता है.
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