24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

प्रतिवर्ष 360 नामांकन और हाॅस्टल की क्षमता मात्र 400, आवास के लिए भटक रहे भावी अभियंता

बांका जिले का एकमात्र राजकीय पॉलिटेक्निक, कोतवाली में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को आवास के लिए भटकना पड़ रहा है.

राजकीय पॉलिटेक्निक का हाल

बांका/रजौन. बांका जिले का एकमात्र राजकीय पॉलिटेक्निक, कोतवाली में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को आवास के लिए भटकना पड़ रहा है. संस्थान में हॉस्टल की कमी के कारण छात्र छात्राएं कोतवाली गांव में किराये पर कमरा लेने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. वहीं कोतवाली गांव में सीमित संसाधन के कारण छात्र-छात्राओं को आवास मिलने में परेशानी हो रही है. उन्हें पढ़ाई के लिए भागलपुर से आवागमन करना पड़ता है. जिसमें पैसे और समय की बर्बादी हो रही है. जानकारी के अनुसार, राजकीय पॉलिटेक्निक, कोतवाली में सीटों की संख्या में इजाफा किया गया है. लेकिन छात्र छात्राओं के हाॅस्टल में सीट की क्षमता नहीं बढ़ायी गयी. जिसके चलते छात्र छात्राओं को आवास लेने के लिए भटकना पड़ रहा है. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक छात्र ने बताया कि कोतवाली गांव में किराये के मकान में एक कमरे में चार-चार छात्र रहने को मजबूर हैं. जहां एक कमरे का किराया तीन से चार हजार रुपये लिये जा रहे हैं. साथ ही छात्र-छात्राओं को भोजन पर खर्च ज्यादा करना पड़ रहा है. वहीं राजकीय पॉलिटेक्निक में छात्र-छात्राओं को रहने के लिए हॉस्टल बनाया गया है. जिसकी क्षमता 400 छात्र-छात्राओं की है. जबकि प्रत्येक वर्ष करीब 360 छात्र-छात्राओं का नामांकन किया जाता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हॉस्टल में रहने के लिए कितनी मारामारी है.

प्रत्येक विभाग में छात्र छात्राओं की क्षमता

सिविल -120.

इलेक्ट्रिक – 60.इलेक्ट्रॉनिक – 60.कंप्यूटर साइंस – 60.मैकेनिकल – 60.कहते हैं प्राचार्य

प्राचार्य इंजीनियर राजेश कुमार के अनुसार हॉस्टल के लिए एडिशनल बिल्डिंग बनाने के लिए विभाग व जिलाधिकारी को पत्र लिखकर सूचित किया गया है. लेकिन विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. जिसके चलते छात्र छात्राएं संस्थान के निकट कोतवाली गांव में किराये पर आवास लेकर पढ़ाई करने को मजबूर है. आगे उन्होंने कहा कि संस्थान की भूमि पर कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है. अतिक्रमण की सूचना जिलाधिकारी व अंचल प्रशासन को दी गयी है. लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. उपरोक्त भूमि के अतिक्रमण मुक्त होने से हॉस्टल बनाने के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध हो जायेगी. हॉस्टल बन जाने से छात्र-छात्राओं को आवास के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें