Teacher’s Day: शिक्षा की उद्देश्य सिर्फ डिग्री हासिल करना नहीं होता. शिक्षा का मतलब है बच्चों के भीतर निहित संभावनाओं को बाहर निकालना. शिक्षा ही हमें इंसान बनाता है. सफलता-असफलता अलग पहलू है और शिक्षित इंसान बनना अलग. ये बातें बुधवार को गोला रोड स्थित डीएन हाई स्कूल में प्रभात खबर की ओर से शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित शिक्षा संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एलएनटी कॉलेज के प्राचार्य सह दर्शनशास्त्री प्रो.डॉ अभय कुमार सिंह ने कहीं.
प्राचार्य सह दर्शनशास्त्री ने क्या कहा
बतौर मुख्य वक्ता उन्होंने शिक्षकों और छात्र-छात्राओं से संवाद के दौरान कहा कि इंसान के पास सीमित ऊर्जा होती है. ऐसे में किशोरावस्था से ही यदि उसे सही दिशा में लगाएंगे तो निश्चित ही सफल इंसान बन पाएंगे. हमारी समस्या यह है कि हम जहां स्वयं फेल होते हैं अपने बच्चों को उसी में सफल बनाने में जुट जाते हैं. बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार कॅरियर चुनने का मौका देना चाहिए. शिक्षकों को कहा कि बच्चों की रूचि और उनकी समझ के लेवल में ही बच्चों को शिक्षा दें. ऐसा नहीं होने पर कक्षा बोझिल लगने लगती है.
शिक्षक का उद्देश्य सफल माना जाता है
बच्चों में पढ़ाई के प्रति भूख उत्पन्न हो जाए तो शिक्षक का उद्देश्य सफल माना जाता है. कार्यक्रम के दौरान साइंस फॉर सोसाइटी के जिला समन्वयक डॉ फुलगेन पूर्वे, जिला संयुक्त समन्वयक जय नारायण सिंह, राजकीय शिक्षक सम्मान के लिए चयनित मध्य विद्यालय दिघरा के प्रधानाध्यापक सुधाकर ठाकुर, आदर्श मध्य विद्यालय सरैयागंज के प्रधानाध्यापक मनोज कुमार ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया.
कार्यक्रम की अध्यक्षता डीएन हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक ने किया
कार्यक्रम की अध्यक्षता डीएन हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक कन्हैया मिश्रा और संचालन उदय मिश्र ने किया. मौके पर विद्यालय के शिक्षक अमित कुमार, डॉ धर्मेंद्र कुमार सिंह, आनंद कुमार, प्रभात कुमार, विवेक कुमार, पंकज कुमार, प्रयंवदा कुमारी, सुमित्रा देवी, श्याम सुंदरी समेत अन्य शिक्षक और सभी छात्र-छात्राएं मौजूद थे. राष्ट्रगान से कार्यक्रम का समापन हुआ.
पूर्व तैयारी के साथ कक्षाओं में जाएं शिक्षक : फुलगेन पूर्वे
साइंस फॉर सोसाइटी के जिला समन्वयक डॉ फुलगेन पूर्वे ने कहा कि शिक्षक कक्षाओं में जाने से पूर्व अध्ययन करें. जब वे पूरी तैयारी के साथ कक्षाओं में जाएंगे तो बच्चों के पूछे प्रश्न और उनकी जिज्ञासा को शांत कर पाएंगे. बच्चों में तकनीक और शोध की प्रवृत्ति विकसित हो इसके लिए बच्चों को पढ़ाई के दौरान रिफ्रेंस दें. उन्होंने गुरुकुल पद्धति, गुरु-शिष्य परंपरा और वर्तमान शिक्षण पद्धति पर विस्तार से जानकारी दी. कहानियों और शिक्षा पर आधारित गीत से संदेश दिया.
शिक्षा से ही संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास : सुधाकर
राजकीय शिक्षक सम्मान के लिए चयनित मध्य विद्यालय दिघरा के प्रधानाध्यापक सुधाकर ठाकुर ने कहा कि शिक्षा से ही छात्र के संपूर्ण व्यक्तित्व का विकास होता है. वर्तमान समय में शिक्षा में तकनीक का अहम योगदान है. स्कूलों में आइसीटी लैब की स्थापना हुई है. इससे छात्रों को तकनीक आधारित शिक्षा मिल रही है. उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया कि यदि आगे के आठ-10 वर्ष उन्होंने पूरे मनोयोग से शिक्षा ग्रहण की तो उनकी जीवन संवर जाएगा.
शिक्षा के साथ अनुशासन का भी अहम योगदान : मनोज
आदर्श मध्य विद्यालय सरैयागंज के प्रधानाध्यापक मनोज कुमार ने कहा कि शिक्षा के साथ-साथ अनुशासित रहना भी बहुत जरूरी है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में बच्चों में धैर्यपूर्वक सुनने की क्षमता कम हो गयी है. पहले दादी-नानी लोरी और कहानियां सुनाती थीं. बच्चों में उससे सुनने की क्षमता विकसित होती थी. अब यह परंपरा समाप्त हो रही है. उन्होंने बच्चों को प्रेरित किया कि शिक्षा ही जीवन के समस्त अंधकारों को हर कर हमारे जीवन को सुंदर बनाता है.
संयमित-संकल्पित होकर बच्चियां बढ़ रहीं आगे : जय नारायण
साइंस फॉर सोसाइटी के जिला संयुक्त समन्वयक जय नारायण सिंह ने कहा कि बच्चे यदि ठान लें तो वे किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकतेे हैं. बच्चों को लक्ष्य के प्रति आगे बढ़ने में संयम और संकल्प की जरूरत होती है. आज बच्चियां अधिक संयमित और लक्ष्य के प्रति संकल्पित होकर प्रत्येक क्षेत्र में लड़कों से आगे निकल रहीं हैं. 10 से 18 वर्ष की आयु बच्चों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होती है. यही उम्र होता है जहां हम अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं तो निश्चय ही सफल होंगे.
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छात्र-शिक्षक व अभिभावक एक बिंदु पर आएं तो सफल होगा उद्देश्य : कन्हैया
डीएन हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक कन्हैया मिश्रा ने कहा कि छात्र, शिक्षक और अभिभावक शिक्षा के तीन अहम कड़ी हैं. वर्तमान में ये त्रिभुज की तीन भुजाओं के समान साथ तो हैं पर तीनों अलग हैं. यदि ये एक रेखा में एक साथ आ जाएं तो इनके प्रयास से नकनीक आधारित शिक्षा का उद्देश्य निश्चय ही सफल होगा. उन्होंने कहा कि बच्चे मिट्टी के समान होते हैं. शिक्षक और अभिभावक जैसा चाहें उन्हें आकर देकर उन्हें गढ़ सकते हैं. बच्चों को उन्होंने प्रेरक सीख भी दी.
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