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कुरूम हाट में बैंक शाखा नहीं होने से कारोबार पर पड़ रहा असर

कुरूम हाट में बैंक शाखा नहीं होने से कारोबार पर पड़ रहा असर

बलिया बेलौन. क्षेत्र का सब से बडा अनाज की मंडी कुरूम हाट में प्रत्येक दिन बाजार सजने के साथ-साथ बुधवार को सप्ताहिक हाट लगता है. इसमें हजारों लोग खरीद फरोख्त के लिए आते है. लाखों की खरीद बिक्री होती है. जिससे सरकार को अच्छा राजस्व प्राप्त होता है. इसके बावजूद यहां सरकारी स्तर पर लोगों को सुविधा नहीं मिल रही है. कुरूम हाट में बैंक का शाखा खोलने की मांग कई दशक से लोग करते आ रहे है. इस पर प्रशासन या जनप्रतिनिधि की ओर से कुछ पहल नहीं की जा रही है. यहां बैंक शाखा खुल जाने से लोगों को कारोबार करने में सुविधा होगी. लोग कारोबार कर मोटी रकम लेकर जाते है. जिससे हमेशा छितनई होने का डर लगा रहता है. कई बार छिनतई की घटना भी हो चुकी है. स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि इनायत राही ने बताया की कुरूम हाट में बैंक शाखा की मांग को लेकर धरना, प्रदर्शन भी किया गया. इसके बावजूद लोगों की मांग पूरी नहीं हो रही है. सांसद, विधान पार्षद, विधायक के आश्वासन के बाद भी इस क्षेत्र के आठ पंचायत की करीब एक लाख आबादी के लिए एक भी बैंक शाखा नहीं है. कुरूम हाट में बैंक शाख खुल जाने से कारोबार में बढोतरी होगी. जिला परिषद प्रतिनिधि मुनतसीर अहमद ने बताया की पश्चिम बंगाल से दुकानदार यहां आता है. लोगों को सुविधा मिलने से कारोबार बढेगा. यहां धान, पटशन, तिलहन, सब्जी आदि की बडी मंडी लगती है. सुविधा मिलने से कुरूम हाट गुलाबबाग मंडी के जैसा हो जायेगा. इससे किसानों को अधिक लाभ होगा. लोगों को सस्ते दर में सामान मिलेगा. उन्होंने बताया की सबनपुर में संपर्क पथ व कल्याणगांव में पुल निर्माण का कार्य चल रहा है. इससे कुरूम हाट का संपर्क पश्चिम बंगाल से हो जायेगा. साथ ही यहां यात्री शेड, सार्वजनिक शौचालय, लिंक सडक का पक्कीकरण, नाला का निर्माण, उपस्वास्थ केंद्र आदि की कमी के कारण कुरूम हाट का विकास प्रभावित हो रहा है.

कुरूम हाट की अलग थी पहचान

ज्ञात हो की 90 के दशक तक कुरूम हाट में प्रत्येक वर्ष मेला लगता था. इस मौके पर सिनेमा, नाटंगी, सर्कस आदि आता था. फुटबाल का अंतर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन होता था. इस दौरान दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ, मुरादाबाद आदि शहरों से होटल, दुकान आने से सीमांचल का सब से बडा हाट में शुमार होता था. लेकिन संसाधन की कमी के कारण धीरे-धीरे बाहर के शहरों से दुकान आना बंद हो जाने से कुरूम हाट का मेला लुप्त हो गया. यहां संसाधन की कमी दुर नहीं की जाती है तो साप्ताहिक हाट पर भी ग्रहण लग सकता है.

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