Vastu Tips: हरितालिका तीज का त्योहार हिन्दू धर्म में विशेष रूप से मनाया जाता है. यह दिन शिव-पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है और विवाहित महिलाएं इस दिन पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन की कामना करती हैं. वहीं, अविवाहित लड़कियां योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती हैं. इस शुभ दिन पर वास्तु शास्त्र का ध्यान रखते हुए कुछ विशेष बातों का पालन करना घर में सुख-समृद्धि और शांति लाने में मदद कर सकता है. आइए जानते हैं हरितालिका तीज पर वास्तु के अनुसार क्या करें और क्या न करें.
सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए घर की सफाई
हरितालिका तीज के दिन घर की अच्छी तरह सफाई करना शुभ माना जाता है. सफाई से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता दूर होती है. ध्यान रखें कि पूजा से पहले घर के हर कोने को अच्छे से साफ करें और साफ-सफाई के बाद धूप-दीप जलाकर वातावरण को शुद्ध करें.
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पूजा स्थान की दिशा का ध्यान रखें
वास्तु शास्त्र के अनुसार, हरितालिका तीज की पूजा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में करनी चाहिए. यह दिशा भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए सबसे शुभ मानी जाती है. पूजा स्थल को इस दिशा में सजाने से सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं.
पीले और हरे रंग का उपयोग
हरितालिका तीज पर हरे और पीले रंग का विशेष महत्व है. हरा रंग समृद्धि और उन्नति का प्रतीक है, वहीं पीला रंग ज्ञान और शांति का प्रतीक है. पूजा में हरे रंग के वस्त्र पहनना और पीले फूलों का उपयोग करना शुभ फलदायक होता है.
घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं
घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाना और उस पर फूलों से सजावट करना शुभ माना जाता है. यह न सिर्फ स्वागत का प्रतीक है, बल्कि वास्तु शास्त्र के अनुसार यह सकारात्मक ऊर्जा को घर में प्रवेश करने में मदद करता है. रंगोली बनाते समय खासकर पीले और हरे रंग का प्रयोग करें.
धातु की मूर्तियों का प्रयोग
यदि आप भगवान शिव और पार्वती की मूर्तियों से पूजा कर रहे हैं, तो वास्तु के अनुसार धातु की मूर्तियों का इस्तेमाल करना अच्छा माना जाता है. खासकर, कांसे, पीतल, या चांदी की मूर्तियों का उपयोग करना वास्तु दोष को दूर करता है और घर में शांति और समृद्धि लाता है.
पूजा स्थान की गलत दिशा
पूजा का स्थान कभी भी दक्षिण दिशा में न रखें. वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा को अशुभ माना गया है और यहां पूजा करने से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. यदि पूजा स्थल को बदलना संभव न हो, तो पूजा के दौरान ईशान कोण की तरफ मुख करके बैठें.
टूटी-फूटी मूर्तियों का उपयोग न करें
वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा के लिए टूटी-फूटी या खंडित मूर्तियों का उपयोग नहीं करना चाहिए. इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है. अगर आपके पास पुरानी या टूटी मूर्तियां हैं, तो उन्हें किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें और नई मूर्तियों का उपयोग करें.
अंधेरे या गंदे कोनों में पूजा न करें
हरितालिका तीज पर पूजा के स्थान को साफ और उजाला होना चाहिए. अंधेरे या गंदे स्थानों में पूजा करने से वास्तु दोष उत्पन्न होता है और इससे पूजा का प्रभाव कम हो जाता है. हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि पूजा स्थल में पर्याप्त रोशनी हो और वहां कोई गंदगी न हो.
बंद खिड़कियां और दरवाजे
हरितालिका तीज के दिन घर की खिड़कियों और दरवाजों को बंद रखना वास्तु शास्त्र के अनुसार शुभ नहीं माना जाता. इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह रुक जाता है. पूजा के समय घर के मुख्य द्वार और खिड़कियां खुली रखें ताकि ताजा हवा और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता रहे.
प्रवेश द्वार पर टूटी हुई वस्तुएं न रखें
मुख्य प्रवेश द्वार पर टूटे हुए जूते-चप्पल या अन्य टूटी वस्तुएं न रखें. वास्तु के अनुसार, इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है. हरितालिका तीज के दिन विशेष ध्यान दें कि घर के प्रवेश द्वार पर साफ-सफाई हो और वहां कोई अव्यवस्था न हो.
हरितालिका तीज पर वास्तु शास्त्र के अनुसार पूजा किस दिशा में करनी चाहिए?
वास्तु शास्त्र के अनुसार हरितालिका तीज की पूजा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में करनी चाहिए. यह दिशा भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए शुभ मानी जाती है और इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.