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निर्जला व्रत रख सुहागिन करेंगी अखंड सौभाग्य की कामना

सर्वप्रथम माता पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए की थीं उपासना

औरंगाबाद शहर.

आज शुक्रवार को हरितालिका तीज मनायी जायेगी. सनातन धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए तीज व्रत का विशेष महत्व है. महिलाएं इस व्रत को करेंगी और अखंड सौभाग्य की कामना करेंगी. पूरी आस्था के साथ दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए भगवान शंकर और माता पार्वती की उपासना की जाती है. गुरुवार को हरितालिका तीज को लेकर बाजार की रौनक बढ़ी रही. महिलाओं ने कपड़े, शृंगार व पूजन सामग्रियों की खरीदारी की. तीज पर पेड़किया (मैदा-सूजी या खोवा से बना खाद्य पदार्थ) बनाने की परंपरा है. कहीं-कहीं इसे गुजिया भी कहा जाता है. वैसे बाजार में 120 रुपये से लेकर 500 रुपये किलो तक पेड़किया की बिक्री हुई. शुद्ध घी व खोए से बने पेड़किया 500 रुपये किलो तक बिके. खरीदारी करने के लिए सुबह से लोग बाजार पहुंचने लगे थे. देर रात तक यह सिलसिला चलता रहा. तीज को लेकर नवविवाहिता महिलाओं में अधिक उत्साह देखा गया. ज्योतिर्विद डॉ हेरंब कुमार मिश्र ने बताया कि सावन महीने में कजरी तीज मनाने की परंपरा है. इस दौरान महिलाएं कजरी गीत का आनंद उठाती हैं. भादो महीने के तीज का अलग ही महत्व है. उन्होंने बताया कि यह व्रत प्रत्येक वर्ष भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि और हस्त नक्षत्र में किया जाता है. इस वर्ष गुरुवार को दिन में 10 बजकर छह मिनट के बाद से तृतीया तिथि शुरू है, जो शुक्रवार की दोपहर 12 बजकर नौ मिनट तक रहेगी. वहीं सुबह 8:10 बजे तक हस्त नक्षत्र भी है. उन्होंने बताया कि शास्त्रों के अनुसार तृतीया तिथि में चतुर्थी मिली हुई हो तो उसी दिन व्रत करना चाहिए. उन्होंने निर्णय सिंधु का हवाला देते हुए कहा कि चतुर्थी सहिता या तु सा तृतीया फलप्रदा. तृतीया तिथि के स्वामी माता गौरी व चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेश हैं. इस तरह से इस दिन देखा जाये, तो माता गौरी की गोद में भगवान गणेश विराजमान हैं. इसकी वजह से यह व्रत बहुत ही पुण्यदायक हो जाता है और इस दिन कभी भी पूजा की जा सकती है. उन्होंने बताया कि हरितालिका व्रत के दिन सुहागिन स्त्रियां निर्जला उपवास रखकर भगवान शिव और पार्वती का पूजन करेंगी. इसके साथ ही भजन कीर्त्तन के साथ यथासंभव रात्रि जागरण करने की भी परंपरा है. सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु एवं परिवार के सुख की कामना से यह कठिन निर्जला व्रत रखती हैं.

तीज व्रत में धार्मिक नियमों का पालन जरूरी

ज्योतिर्विद के साथ आचार्य राधेकृष्ण पांडेय और सुशील मिश्र ने बताया कि तीज में व्रती को कुछ नियमों का पालन करना जरूर करना चाहिए. इस दौरान यथासंभव श्रृंगार प्रसाधन का उपयोग करना चाहिए. काले रंग के वस्त्र, काली बिंदी और हाथों में काली चूड़ियां वर्जित हैं. अनुष्ठान के क्रम में पति-पत्नी के बीच वाद-विवाद से नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. सुहागिन स्त्रियों को अपनी मांग बगैर सिंदूर के खाली रखना अशुभ माना जाता है. इसके साथ अन्य स्वजनों को तामसी भोजन से परहेज करना चाहिए.

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