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कनहोज की जमीन हुआ अतिक्रमण का शिकार, अस्तित्व पर खतरा

मुख्य शहर में ब्रिटिश काल से स्थापित काजी हाउस की जमीन पर अतिक्रमण किये जाने के कारण इसके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है.

अरवल.

मुख्य शहर में ब्रिटिश काल से स्थापित काजी हाउस की जमीन पर अतिक्रमण किये जाने के कारण इसके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. विदित हो कि मुख्य शहर स्थित एनएच 139 के किनारे भगवती शाह पेट्रोल पंप के सामने ब्रिटिश काल से काजी हाउस के नाम से चर्चित कनहोज चलता था, जिसमें मुख्य रूप से आवारा पशुओं का गुजारा होता था. इसके अलावा वैसे पशुओं को भी यहां पकड़ कर रखा जाता था, जो किसी किसान के फसल नष्ट कर देते थे और किसान द्वारा काजी हाउस लाने पर उसे हाजी हाउस के द्वारा कुछ पैसे दिये जाते थे और जानवर को बंदी बना दिया जाता था. इसके बाद जानवर का मालिक खुद आकर काजी हाउस से अपने जानवर को छुड़ाने के एवज में जुर्माना भर कर अपने जानवर ले जाता था, जिनके कारण किसानों में आपसी विवाद नहीं होती थी, लेकिन वर्तमान समय में काजी हाउस की जमीन लोगों द्वारा कब्जा करके अपना निजी स्वार्थ के लिए उपयोग किया जा रहा है. काजी हाउस के कार्यकाल के दौरान खासकर ग्रामीण इलाकों में पशुओं द्वारा फसलों को नष्ट किये जाने पर किसान उससे कई हाउस में जमा कर अपने नष्ट हुई फसल का मुआवजा वसूल कर लेता था, लेकिन इसके अस्तित्व समाप्त होने के बाद पशुओं के द्वारा फसल नष्ट किए जाने के बाद आपसी झगड़ा का रूप ले लेता है जो कभी कभार बड़ी घटना में भी तब्दील हो जाता. काजी हाउस के संचालन से ग्रामीण इलाकों में इस तरह की घटनाओं पर पूरी तरह से अंकुश लगा रहता था. इसके संचालन से सड़कों पर घूम रहे आवारा पशु जो की सड़क दुर्घटना का भी एक कारण माने जाते हैं, उन्हें भी कई हाउस में रखा जाता था जिससे सड़कों पर इनके कारण होने वाले दुर्घटनाओं का अनुपात भी कम होता था. इस संबंध में नौकरी निवासी 75 वर्षीय किसान बैकुंठ यादव का कहना है कि काजी हाउस के रहने से किसानों को काफी सहूलियत होती थी इसे पुनः अस्तित्व में लाने का सार्थक पहल होना चाहिए. वहीं अरवल सिपाह निवासी 65 वर्षीय किसान रामदेव रजक ने कहा है कि काजी हाउस के होने से किसानों में आपसी विवाद नहीं होता था लेकिन इन दोनों पशु द्वारा फसल नष्ट किए जाने की घटना के बाद किसान आपस में ही भीड़ जाते हैं. इनके अलावा 65 वर्षीय किसान सत्यदेव नारायण पंडित का कहना है कि काजी हाउस की जमीन को अवैध कब्जा से मुक्त कराकर पुनः चालू करना चाहिए. जिस जगह पर काजी हाउस की जमीन अवस्थित है, वह वर्तमान समय में इसकी कीमत करोड़ों रुपये हो सकती है, फिर भी प्रशासनिक पदाधिकारी को इस और ध्यान न दिये जाने के कारण सरकार के करोड़ों रुपये की संपत्ति आज अतिक्रमण का शिकार हो गया है. इस संबंध में अनुमंडल पदाधिकारी ओम प्रकाश ने कहा कि मामले की जांच की जायेगी. साक्ष्य मिलने पर कार्रवाई भी की जायेगी.

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