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खुलेआम गला काटकर हुई हत्या, पर ‘प्ली ऑफ एलिबाई’ से मिली बेल, क्या है नियम

Udaipur Kanhaiya Lal Case : पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ सोशल मीडिया पोस्ट लिखने पर उदयपुर के दर्जी कन्हैया लाल की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी. कन्हैया लाल हत्याकांड को देश का शायद ही कोई व्यक्ति भूल पाया हो. इस हत्याकांड में दो हत्यारों के अलावा उनकी मदद करने वाले मोहम्मद जावेद को भी एनआईए की टीम ने गिरफ्तार किया था. मोहम्मद जावेद पर रेकी करने का आरोप लगा था, 5 सितंबर को कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी

Udaipur Kanhaiya Lal Case : कन्हैया लाल हत्याकांड का वीडियो जब सोशल मीडिया में वायरल हुआ तो देखने वाले दहशत में थे और डर का माहौल बन गया था. पांच सितंबर 2024 को हत्या के आरोपियों में से एक मोहम्मद जावेद को राजस्थान हाईकोर्ट ने जब जमानत दी, तो पूरा घटनाक्रम एक बार फिर लोगों के आंखों के सामने घूम गया. जमानत देने का आधार यह बना कि एनआईए( NIA) जावेद के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं दी पाई, जो सबूत कोर्ट के सामने पेश किए गए उसमें भी उसके खिलाफ कोई प्रमाण नहीं मिला. कोर्ट ने प्ली ऑफ एलिबाई (Plea of alibi)  के तहत मोहम्मद जावेद को जमानत दे दी है.

प्ली ऑफ एलिबाई (Plea of alibi) क्या है?

प्ली ऑफएलिबाई तथ्यों से जुड़ा मामला है. एलिबाई लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ होता है अन्यत्र, यानी दूसरी जगह. प्ली ऑफ एलिबाई के तहत कोई आरोपी कोर्ट में यह साबित करने की कोशिश करता है कि उसका संबंधित अपराध से कोई संबंध नहीं है और जिस वक्त वह अपराध हुआ, वह कहीं और था. उसे झूठे मामले में फंसाने की कोशिश की गई है, क्योंकि जिस वक्त वह घटना घटी तो वह घटनास्थल से दूर था और यह संभव नहीं था कि वह उस अपराध में शामिल हो. प्ली ऑफ एलिबाई तब दाखिल किया जा सकता है जब –

-आरोपी पर ऐसे अपराध का आरोप होना चाहिए जो दंडनीय हो.

-आरोपी को इस बात के सबूत कोर्ट को देने होंगे कि वह घटना के वक्त अपराध स्थल पर नहीं थे और उनका वहां उपस्थित होना नामुमकिन था.

भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 9 में है एलिबाई का जिक्र

अधिवक्ता अवनीश रंजन मिश्रा ने प्रभात खबर के साथ बातचीत में बताया कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 की धारा 9 में एलिबाई का जिक्र हैं, इससे पहले इंडियन एविडेंस एक्ट की धारा 11 में इसका जिक्र था. जब कोई अभियुक्त जमानत के लिए याचिका दाखिल करता है, तो वह कोर्ट को यह बताता है कि जिस वक्त अपराध हुआ, वह अपराध स्थल पर मौजूद नहीं था और उसका वहां पहुंचना भी संभव नहीं था. इसको ऐसे समझा जा सकता है कि कोई यह कहे कि रांची के डोरंडा इलाके में हत्या की जो घटना हुई है और जिस दिन वह घटना हुई है, उस दिन मैं नेपाल बाॅर्डर पर ड्‌यूटी पर था. यानी ना तो वह उपस्थित था और ना ही उसकी उपस्थिति संभव थी. कोर्ट को जब यह लगता है कि एलिबाई का साक्ष्य उचित है तो वह अभियुक्त को जमानत दे देता है.

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एलिबाई के तहत किसी अभियुक्त को जमानत मिलने का अर्थ यह है कि पुलिस और जांच एजेंसी संबंधित व्यक्ति के खिलाफ साक्ष्य नहीं दे पाई और जब उसने एलिबाई की अपील की तो वह उसके काट में भी कोई पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाई. 

पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ लिखा था सोशल मीडिया पोस्ट

कन्हैया लाल जो कि एक टेलर था उसकी हत्या उसके दुकान में आकर गौस मोहम्मद और मोहम्मद रियाज ने गला रेतकर हत्या कर दी थी. घटना 28 जून 2022 को उदयपुर में घटी थी. कन्हैया लाल ने पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ कोई सोशल मीडिया पोस्ट लिखा था, जिसके बाद बदले की यह कार्रवाई की गई थी. हत्यारों को पुलिस ने जल्दी ही पकड़ लिया था और जेल में डाल दिया था. मोहम्मद जावेद पर यह आरोप था कि उसने हत्यारों को कन्हैया लाल के बारे में सूचना दी थी और वह उसकी जासूसी कर रहा था.

क्या है प्ली ऑफ एलिबाई (Plea of alibi) ?

प्ली ऑफएलिबाई तथ्यों से जुड़ा मामला है. एलिबाई लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ होता है अन्यत्र, यानी दूसरी जगह. प्ली ऑफ एलिबाई के तहत कोई आरोपी कोर्ट में यह साबित करने की कोशिश करता है कि उसका संबंधित अपराध से कोई संबंध नहीं है और जिस वक्त वह अपराध हुआ, वह कहीं और था.

कन्हैया लाल की कब हुई थी हत्या?

28 जून 2022 को उदयपुर में हुई थी कन्हैया लाल की हत्या

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