17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भागलपुर में बाढ़-सुखाड़ का साइड इफेक्ट, कीट-व्याधि का बढ़ा प्रकोप, किसानों की परेशानी बढ़ी

भागलपुर के किसानों को एक साथ बाढ़ और सुखाड़ की मार झेलनी पड़ रही है. तापमान बढ़ने की वजह से किट का प्रकोप शुरू हो गया है. जिससे किसान परेशान है.

भागलपुर जिले के लोग एक साथ बाढ़ व सुखाड़ की समस्या से जूझ रहे हैं. भागलपुर के उत्तरी क्षेत्र में बाढ़ और दक्षिणी क्षेत्र में बारिश कम होने से धान सहित अन्य फसलों पर कीट-व्याधि का प्रकोप शुरू हो गया है. सावन का पूरा माह सूखा निकल जाने से फसलों के विकास पर गहरा असर पड़ा. लगातार धूप और बढ़ रहे तापमान के कारण खरीफ फसलों में कीट का प्रकोप शुरू हो गया है. खेतों में खरपतवार अधिक उपज गये हैं, इससे पौधों को नुकसान हो रहा है. पौधा संरक्षण विभाग ने अलर्ट घोषित किया है कि किसानों को लगातार सजग रहने की जरूरत है. तभी कीट-व्याधि से मुक्ति पायी जा सकेगी.

तापमान बढ़ने से कीट-पतंगों के प्रकोप की आशंका

इसे लेकर जिला कृषि विभाग के अंतर्गत पौधा संरक्षण विभाग ने किसानों को सावधानी बरतने के सुझाव दिये हैं. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो, गर्मी बढ़ने से कीट-पतंग का प्रकोप बढ़ जाता है. इससे लार्वा बढ़ता ही चला जाता है. बाढ़ग्रस्त क्षेत्र व जल-जमाव वाले क्षेत्रों में भी कजरा पिल्लू व सैनिक कीट का प्रकोप बढ़ा है. इसे लेकर पौधा संरक्षण विभाग के पदाधिकारी और कर्मचारियों ने क्षेत्रों का निरीक्षण किया और किसानों को आवश्यक सुझाव दिये हैं.

भागलपुर में पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक सुजीत कुमार पाल ने बताया कि कम बारिश और गर्मी बढ़ने पर कीट-पतंगे बढ़ते हैं. किसान खेत में फेरोमोन ट्रैप-गंध पास लगा सकते हैं. इसके अलावा अन्य उपाय के रूप में पक्षी आश्रय लगा सकते हैं. पक्षी आयेंगे, तो वे कीड़े को खा जायेंगे. इससे यदि नियंत्रित नहीं होगा, तभी रासायनिक कीटनाशक का इस्तेमाल कर सकते हैं.

दियारा क्षेत्र के मकई में मिलता रहा है सैनिक कीट-फॉल आर्मी का प्रकोप

दियारा क्षेत्र व टाल क्षेत्र में मकई में सैनिक कीट अर्थात फॉल आर्मी मिला है. पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक सुजीत पाल ने बताया कि घोघा, सबौर, ममलखा, नाथनगर दियारा क्षेत्र में पहले इसकी शिकायत मिली है. किसान इसके लिए प्रेफेनोफॉस 40 प्रतिशत ईसी एवं साइपर मैत्रिन 4 प्रतिशत के मिश्रण को एक से डेढ़ एमएल प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं. क्लोरपायरी फोस 50 प्रतिशत एवं साइपर मैत्रिन 5 प्रतिशत के मिश्रण को एक से डेढ़ एमएल प्रति लीटर दे सकते हैं. इससे कजरा पिल्लू एवं सैनिक कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है. दोनों कीट का प्रकोप बाढ़ के कारण व टाल एरिया में पानी जमाव के कारण बढ़ा है.

फसलों के रंग हो रहे पीले

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो अगर बारिश नहीं होती तो खरीफ फसलों को 15 से 20 फीसदी तक नुकसान हो सकता है. वहीं मौसम विभाग ने सितंबर के दूसरे सप्ताह में बारिश की संभावना जतायी है. ऐसे में फसलों में कीट प्रकोप और बढ़ने के असार है. इसके साथ ही बढ़ते तापमान के कारण धान सहित मूंग व उड़द की फसल पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा.

इसे भी पढ़ें: Rain Alert: गया सहित 7 जिलों में होगी बारिश, आकाशीय बिजली की भी संभावना

अगस्त में 50 एमएम कम हुई बारिश

कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार अगस्त में 50 एमएम तक बारिश कम हुई. 280 एमएम बारिश होनी थी, लेकिन 230 एमएम ही हुई. सितंबर माह आरंभ हो गया है. अगस्त माह में खेती के लिए अच्छी बारिश नहीं हुई. वहीं जुलाई में 15 प्रतिशत तक कम बारिश हुई. कम बारिश से धान सहित अन्य फसल पर संकट का बादल मंडराने लगा है.

इस वीडियो को भी देखें: जेपी नड्डा के भाषण के दौरान निकला सांप

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें