11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Rishi Panchmi 2024: ऋषि पंचमी आज, पंच ज्ञानेंद्रियों को ऋषिवत बनाने का पुण्य पर्व है ये दिन

Rishi Panchmi 2024:आज 8 सितंबर को ऋषि पंचमी का पर्व मनाया जा रहा है. आइए जानें इस व्रत के बारे में सब कुछ.

सलिल पांडेय, मिर्जापुर

Rishi Panchmi 2024:  ऋषि शब्द का प्रथम दृष्ट्या आशय चिंतन और मनन से प्रकट होता है. इस दृष्टि से धर्मग्रंथों में उल्लेखित ऋषियों को ज्ञान का पर्याय ही कहा जायेगा. ऋषियों ने ज्ञान प्राप्ति के लिए जंगल के पेड़-पौधों के नीचे, पर्वत-गुफाओं, नदियों-झरनों के तटों एवं आश्रमों पर एकाग्र भाव से जटिलतम तपस्या की. मूलतः ऋषियों का उद्देश्य प्रकृति में व्याप्त ज्ञान-तत्व की खोज रही है. वेदों से लेकर रामायण, महाभारत एवं सभी पुराणों में ऋषियों का सम्मानजनक उल्लेख मिलता है. त्रेतायुग में भगवान श्रीराम के चक्रवर्ती पिता दशरथ एवं ऋषि वशिष्ठ के एक संवाद को देखा जाये तो जाहिर यही होता है कि राज्य- संचालन करने वाले राजा ऋषियों के अधीन रहकर प्रजा के कल्याण में निरंतर न्यायपूर्ण कार्य करने के लिए बाध्य होते थे. संवाद यह है कि एक बार चक्रवर्ती सम्राट दशरथ ने ऋषि वशिष्ठ से प्रश्न किया, ‘राज्य के कुशलतापूर्वक संचालन में यदि प्रजा की ओर से कोई गलती होती है, तो राजा को क्या करना चाहिए?’ चक्रवर्ती सम्राट के इस प्रश्न पर ऋषि वशिष्ठ ने कहा, ‘राजा को संबंधित प्रजा को दंड देना चाहिए.’ पुनः  सम्राट ने प्रश्न किया, ‘यदि राजा गलती करे तो उसे कौन दंड देगा?’ इस प्रश्न पर ऋषि ने कहा, ‘उस राजा को धर्म ही दंड देगा.’

एकाग्रता भंग होगी तो वह अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं होगा

चूंकि धर्म की स्थापना में ऋषियों का कार्य तपस्या करते हुए ब्रह्मांड के रहस्यों की खोज करना एवं उस खोज को राजा तक पहुंचाने का रहा है, ताकि उस खोज एवं ज्ञान का लोकहित में प्रयोग हो सके. इसीलिए राज्य के कुशलतापूर्वक संचालन में व्यवधान डालने वाले दैत्य सीधे सम्राट पर आक्रमण न कर ऋषियों के तपस्या-स्थलों पर आक्रमण करते रहे हैं. तपस्यारत ऋषियों की एकाग्रता भंग करना, उनके आश्रमों पर अवांछित वस्तुओं, यथा रक्त, मांस एवं अस्थि फेंक कर विस्फोटक स्थिति पैदा करना तथा उन्हें क्रोधित कर देना मुख्य कार्य होता था. एकाग्रता भंग होगी तो वह अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकेगा, साथ ही क्रुद्ध होने पर उसकी तपस्या की शक्ति क्षीण हो जायेगी. इसे सामान्य रूप से देखें, तो जब कोई भी व्यक्ति बड़े उद्देश्यों के साथ कोई काम करता है और उसको किसी अन्य कार्यों की तरफ भटका दिया जाये, तो वह अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पायेगा.

त्रेतायुग में ऋषि गौतम के साथ हुई थी ये घटना

 लक्ष्य से भटकाव का एक उदाहरण त्रेतायुग में ऋषि गौतम के साथ भी हुआ था. लोकहित में नदी तट पर गहरी साधना में ऋषि गौतम लगे थे. इसी बीच रात के अंधेरे में इंद्र ने अहिल्या के साथ छल किया. तपोबल से गौतम ऋषि ने सब कुछ जान लिया तो क्रोध में विस्फोटक स्थिति में पहुंच गये. यहां ध्यान देने की बात है कि इंद्र सिर्फ तपस्यारत गौतम की पत्नी अहिल्या की शक्ति को खंडित करना चाहते थे. अंततः वही हुआ. गौतम ऋषि क्रुद्ध हो विस्फोट कर गये और पूरा आश्रम पाषाणवत हो गया.

ऐसे ही सप्त ऋषियों के जरिये पंच ज्ञानेंद्रियों को ऋषिवत बनाने का पर्व ऋषि पंचमी का पर्व सार्थक लगता है. इन सप्त ऋषियों में प्रथम प्रकाश-स्वरूप बारह आदित्यों एवं अंधकार स्वरूप दैत्यों के जनक ऋषि कश्यप, द्वितीय ऋषि वनवास के दौरान संन्यासी तथा ऋषि बने भगवान राम को दैत्यों के वध की विधि और माता सीता को पत्नी अनसूया के जरिये संस्कारों का आभूषण देने वाले ऋषि अत्रि, तृतीय अयोध्या से श्रीराम के वनगमन के लिए निकलते ज्ञान देने वाले ऋषि भारद्वाज, चतुर्थ मन के साथ रहने वाली आकांक्षा-स्वरूपा पत्नी रेणुका को विवेक रूपी पुत्र के जरिये गर्दन-विच्छेद कर देने वाले जमदग्नि, पंचम बिना यथेष्ट साधना के ब्रह्मर्षि की उपाधि पाने में असफल रहने पर अंततः वशिष्ठ ऋषि से क्षमा मांग कर पद प्राप्त करने वाले विश्वामित्र, छठवें गौतम तथा सातवें वशिष्ठ ऋषि की पूजा-अर्चना की तिथि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि निर्धारित की गयी है. इसके दस दिनों बाद पितृपक्ष एवं उसके उपरांत दुर्गा शक्ति की कृपा प्राप्त करने का पर्व शारदीय नवरात्र शुरू होता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें