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आरजी कर अस्पताल के हाउस स्टॉफ की नियुक्तियों में भी अनियमितता के संकेत

करीब 84 नियुक्तियों में भ्रष्टाचार को लेकर मिले तथ्य

करीब 84 नियुक्तियों में भ्रष्टाचार को लेकर मिले तथ्य

कोलकाता. आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में वित्तीय अनियमितता की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) के अलावा प्रवर्तन निदेशालय (इडी) भी कर रहा है. मामले में मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ संदीप घोष समेत चार आरोपियों की गिरफ्तारी पहले ही हो चुकी है. घोष व उनके करीबी माने जानेवाले कुछ प्रभावशाली लोग भी केंद्रीय जांच एजेंसियां के रडार पर हैं. इधर, सीबीआइ को उक्त मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हाउस स्टाॅफ की नियुक्ति में गत तीन वर्षों से हो रही धांधली की भनक मिली है. बताया जा रहा है कि करीब 84 नियुक्तियों में भ्रष्टाचार को लेकर तथ्य मिले हैं. हालांकि, जांच के बाबत सीबीआइ की ओर से अभी विस्तृत जानकारी नहीं दी गयी है. आरजी कर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में हाउस स्टाॅफ की नियुक्ति के लिए 13 सदस्यों की कमेटी बनायी थी, जिसमें इंटरव्यू के बाद सभी सदस्यों के हस्ताक्षर आवश्यक थे. हालांकि, अंतिम हस्ताक्षर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल और भ्रष्टाचार के मुख्य आरोपी संदीप घोष ही करते थे. वर्ष 2022 और 2023 में हाउस स्टाॅफ के इंटरव्यू के बाद कमेटी के अन्य सदस्यों के हस्ताक्षरों को रद्द कर दिया जाता था और संदीप घोष अपने मनमुताबिक हाउस स्टाफ की नियुक्ति करके सूची तैयार करते थे. इस प्रक्रिया के पीछे करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार की आशंका जतायी जा रही है. इस मामले में गिरफ्तार घोष के करीबी व्यापारी विप्लव सिंह की कंपनी ‘मां तारा ट्रेडर्स’ के अलावा ‘बाबा लोकनाथ’ और ‘तियासा एंटरप्राइज’ नामक दो अन्य कंपनियों का भी पता चला है. प्रारंभिक जांच के अनुसार, ये कंपनियां टेंडर प्रक्रिया में शामिल थीं. घोष पर आरोप है कि टेंडर प्रक्रिया के दौरान उन्होंने अपनी मर्जी के अनुसार बोली निर्धारित कर विप्लव की कंपनियों को ही टेंडर दिये. घोष के और करीबी व गिरफ्तार वेंडर सुमन हाजरा की कंपनी के माध्यम से मेडिकल उपकरणों के साथ-साथ सोफा सेट और रेफ्रिजरेटर की भी खरीदारी की जाती थी. इसके अलावा, गिरफ्तार एक अन्य आरोपी व घोष का निजी अंगरक्षक अफसर अली खान की पत्नी के नाम पर अस्पताल में एक कैफे खोला गया था. अस्पताल के पूर्व उप अधीक्षक अख्तर अली ने ही पूर्व प्रिंसिपल घोष के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं को लेकर गंभीर आरोप लगाये थे. अली ने घोष के खिलाफ शवगृह से शव की चोरी करने के आरोप भी लगाये हैं. साथ ही अस्पताल से बॉयोमेडिकल वेस्ट अवैध तरीके से बाहर बेचने, छात्रों से परीक्षा कराने के नाम पर पैसे वसूले जाने, अस्पताल में मेडिकल सामान की आपूर्ति में टेंडर दिलाने में अनियमितता बरतने व कमीशन लेने का भी आरोप लगा चुके हैं.

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