बारियातू़ जिले के बालूमाथ, बारियातू व हेरहंज प्रखंड मुख्यालय सहित ग्रामीण इलाकों में इन दिनों पानी में डूबकर मौत मामले की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. आश्चर्य की बात यह है कि लगातार हादसों के बाद भी न प्रशासन चेत रहा और न ही ग्रामीण. मरनेवालों में बच्चों की संख्या अधिक है. उक्त तीन प्रखंड में आंकड़े डराने वाले है. वर्ष 2024 में अब तक सरकारी आंकड़ों के अनुसार 20 लोगों की मौत तलाब, नदी व कुआं में डूबने या गिरने से हो चुकी है.
इस वर्ष हुई घटना
शुक्रवार को बालूमाथ के नगड़ा ग्राम के तीन बच्चों (सूरज कुमार, रिशु कुमार व गोलू कुमार) की मौत रेलवे लाइन निर्माण के लिए खोदे गये गड्ढे में डूबने से हो गयी. 11 अगस्त को बलबल नदी में तेज बहाव के कारण बसंती, फुलो व विवेक उरांव की मौत हो गयी थी. इस घटना के ठीक एक दिन बाद 12 अगस्त को जिपुआ नदी में नहाने गये दो छात्र (मोहम्मद फरहान व मोहम्मद शादाब) की मौत डूबने से हो गयी थी. 23 जुलाई को हेरहंज के पातम डातम जलप्रपात में नहाने गये पांकी के युवक रंजन कुमार गोस्वामी की मौत हो गयी थी. हेरहंज में ही जुलाई महीने में फायरकले माइस के बने गड्ढे में नहाने गये प्रेम कुमार (10 वर्ष) की मौत डूबने से हो गयी थी. 17 जुलाई को बालूमाथ के रजवार निवासी फिलिप्स केरकेट्टा की मौत डोभा में गिरने से हुई थी. 14 जुलाई को बनियो डैम में डूबने से दो नाबालिग छात्र (अफरोज अंसारी व रूपेश भुइयां) की मौत हो गयी थी. बारियातू प्रखंड के टोंटी गांव के सरहचवा में 11 अगस्त को कुआं में गिरने से छह वर्षीय बच्चा रवि उरांव की मौत हो गयी थी. इसके दो दिन बाद 13 अगस्त को साल्वे पंचायत के बरनी तालाब में डूबने से दो मासूम की मौत हो चुकी है. रेलवे लाइन के किनारे रहने वाले लोगों ने रेलवे से पटरी निर्माण के दौरान आसपास खोदे गये सभी गड्ढ़ो को मिट्टी डालकर भरने की अपील की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है