बिंदापाथर. सालकुंडा गांव स्थित जैन मंदिर में समाज का आठ दिवसीय पर्युषण महापर्व शनिवार को समापन हुआ. मालूम हो कि पर्युषण पर्व आठ दिवसीय होता है. यहां मनाये जाने वाले पर्व-त्योहार के पीछे कोई न कोई गौरवशाली इतिहास-संस्कृति-विचारधारा से संबंध जुड़ा होता है. जैन संस्कृति में जितने भी पर्व व त्योहार मनाये जाते हैं, लगभग सभी में आत्म-साधना, तप एवं जीवन शुद्धि का विशेष महत्व होता है. जैनियों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व है पर्युषण पर्व. पर्युषण महापर्व मात्र जैनियों का पर्व नहीं है, यह एक सार्वभौम पर्व है. पूरे विश्व के लिए यह एक उत्तम और उत्कृष्ट पर्व है. इसमें इंसान अपने मन को साफ करता है. आत्मा की उपासना करता है, ताकि जीवन के पापों एवं गलतियों को सुधारा जा सके. जीवन को पवित्र, शांतिमय, अहिंसक एवं सौहार्दपूर्ण बनाया जा सके. झुनू माजी ने कहा पर्युषण महापर्व का समापन मैत्री दिवस के रूप में होता है. जिसे क्षमा दिवस भी कहा जाता है. मौके पर सोमनाथ, कौशिक राज सहित काफी संख्या में बालिका मंडल शामिल हुए.
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