बड़हिया. आस्था का पर्व चौठ चंद्र शुक्रवार को काफी धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया गया. इस दौरान महिलाएं और बच्चे सुबह से ही पूजा की तैयारी करते देखे गये. भाद्र शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को विधि-विधान के साथ मनाये जाने वाले इस पर्व की मान्यता है चौठ चंद्र की उपासना करने से मनोकामनाओं की प्राप्ति होती है. स्कंद पुराण में भी चौठ चंद्र की पद्धति और कथा का वर्णन है. खास बात यह कि छठ की तरह चौठ चंद्र पूजा को भी महिलाएं ही करती हैं. इस दिन महिलाओं एवं बच्चों में विशेष उमंग देखने को मिलता है. इस दिन कच्चे चावल को पीसकर पिठार बनाती है. जिससे घर के आंगन या छत पर पूजा स्थल को आकर्षक अहिपन यानि रंगोली से सजाने के बाद निष्ठा पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है. चंद्रदेव को अर्घ्य देने के लिए दिन भर एक से बढ़कर एक मीठे पकवान बनाये जाते हैं. इस पर्व में दही व केले का खास महत्व है. संध्या की बेला में पूजा स्थल पर पूजा सामग्रियों को सजाकर व्रती महिलायें पारंपरिक तरीके से विधि पूर्वक पूजा करतीं हैं. पूजा के बाद घर व्रती महिलाएं चंद्रदेव को अर्घ्य देती हैं व सबसे पहले हाथ में फल लेकर चंद्रदेव का दर्शन करती हैं. उसके बाद परिवार के सभी सदस्य हाथ में केला, दही या अन्य फल लेकर चंद्रदेव का दर्शन करते हैं. इसके बाद सभी प्रसाद ग्रहण करते हैं.
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