छपरा. चलती ट्रेन में दूधमुंहे बच्चे को भूख लग गयी. मगर ट्रेन में पेंट्रीकार नहीं थी. स्टेशन पर ट्रेन रुकने में इतना समय भी नहीं था कि स्टाॅल पर दूध ढूंढ़ कर खरीदा जा सके. बच्चे की हालत बिगड़ती जा रही थी और मां की बेचैनी बढ़ती जा रही थी. इसी बीच जैसे ही ट्रेन सुबह साढ़े छह बजे छपरा जंक्शन पर रुकी. एक रेलकर्मी दूध की बोतल के साथ बर्थ पर पहुंचा. उसने महिला को उसे उपलब्ध कराया, तो महिला के जान में जान आयी व बच्चे को राहत मिली. यह सब हुआ दरभंगा-नयी दिल्ली 02569 क्लोन स्पेशल ट्रेन में. दूध पहुंचाने वाले थे छपरा जंक्शन पर कार्यरत टिकट कलेक्टर राहुल कुमार. उन्हें बच्चे और महिला की मदद के लिए वाराणसी मंडल के कॉमर्शियल कंट्रोल ओम कुमार ने सूचित किया था. उन्होंने सूचना मिलते ही एक बोतल गर्म दूध की व्यव्स्था की और ट्रेन के छपरा जंक्शन पहुंचते ही वातानुकूलित इकोनॉमी तृतीय श्रेणी के कोच में बर्थ 72 पर यात्रा कर रही महिला तक उसे पहुंचाया. बोगी के लोग रेल प्रशासन की तत्परता और मदद देख कर विस्मित थे, तो महिला कृतज्ञता के भाव से विह्वल हो उठी. वाराणसी मंडल के जनसंपर्क पदाधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि महिला ने रेल मदद एप के माध्यम से अपने छोटे बच्चे को फिड कराने के लिए दूध उपलब्ध कराने की मांग की थी. उस गाड़ी में पेंट्रीकार की सुविधा नहीं होने से छपरा जंक्शन पर दूध की व्यवस्था की गयी. उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की असुविधा पर ””रेल मदद एप””, हेल्पलाइन नंबर-139, एसएमएस एवं वेब के माध्यम से संपर्क किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि पूर्वोत्तर रेलवे के वाराणसी मंडल ने वर्तमान वित्त वर्ष में ””रेल मदद”” के माध्यम से अब तक 7851 यात्रियों की मदद की है.
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