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Madhubani News. मुस्लिम प्रतिनिधियों ने बैठक में वक्फ संशोधन विधेयक पर की चर्चा

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के विरोध में नूरी जामा मस्जिद के प्रांगण में स्थित मदरसा नूरिया बराकतुल-उलूम के हॉल में प्रखंड के मुस्लिम प्रतिनिधियों, विद्वानों और बुद्धिजीवियों की विशेष बैठक हुई.

Madhubani News. जयनगर. वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के विरोध में नूरी जामा मस्जिद के प्रांगण में स्थित मदरसा नूरिया बराकतुल-उलूम के हॉल में प्रखंड के मुस्लिम प्रतिनिधियों, विद्वानों और बुद्धिजीवियों की विशेष बैठक हुई. बैठक में भाग लेने वालों में कई जानकार लोगों ने अपने विचार व्यक्त किये. युवा नेता एडवोकेट सैयद हस्सानुल-हक ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के गंभीर पहलुओं पर प्रकाश डाला. कहा कि पिछले दस वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है कि संसद में कोई विधेयक पारित नहीं हो पाया है. कारण सत्तारूढ़ दल को संसद के दोनों सदन में भारी बहुमत था. हर विधेयक आसानी से पारित हो जाता था. जहां तक वक्फ संशोधन विधेयक की बात है तो सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि वक्फ क्या है. कोई भी संपत्ति जो किसी व्यक्ति द्वारा धार्मिक या सामाजिक उद्देश्यों के लिए इस्लामिक शरीयत के प्रावधान के तहत दान की गई हो. वर्तमान में यह विधेयक जेपीसी द्वारा विचाराधीन है. इसलिए इसका सार्वजनिक स्तर पर विरोध होना चाहिए. भविष्य में वक्फ संपति पर माफिया का कब्जा और भी आसान हो जाएगा. वक्फ संशोधन विधेयक लाकर केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड में पंजीकृत सम्पत्तियों को कॉरपोरेट मित्रों को गिफ्ट करने की साजिश कर रही है. इसलिए इस बिल का विरोध करना जरूरी है. मंजर हसन उर्फ गुडू मंसूरी ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में हमारा पहला कदम यह होगा कि स्कैनर के माध्यम से अपनी राय जेपीसी को ईमेल से देना है. डॉ. मुहम्मद हुसैन मिस्बाही ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक मुसलमानों को अस्वीकार्य है. वक्फ अधिनियम 2013 (संशोधित) ही लागू रहना चाहिए. हाफ़िज़ मंज़ूर साहब ने कहा कि मौजूदा सरकार हर उस मुद्दे पर हस्तक्षेप कर रही है जो मुसलमानों के धर्म से जुड़ा है. मस्जिद कमेटी के सचिव मुजाहिर साहब ने बैठक में उपस्थित सभी लोगों को धन्यवाद दिया. बैठक का संचालन नूरी जामा मस्जिद के इमाम मौलाना सिराज मिस्बाही ने किया.

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