रांची. कैबिनेट द्वारा छह सितंबर को भारतीय प्रशासनिक सेवा (चयन द्वारा नियुक्ति) विनियम 1997 के अंतर्गत गैर राज्य असैनिक सेवा के पदों को उप समाहर्ता के समकक्ष करने से संबंधित निर्णय लिया गया. इससे राज्य प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी आहत हैं. इसके विरोध में झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी की ऑनलाइन आपातकालीन बैठक रविवार को हुई. संघ के पदाधिकारियों ने राज्य सरकार के उक्त निर्णय पर रोष जताया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी झारखंड प्रशासनिक सेवा को प्रीमियर सेवा का दर्जा देते हुए उसका पुनर्गठन कार्मिक विभाग द्वारा नहीं किया जा रहा है.
बिहार मॉडल की तर्ज पर संघ सेवा के पुनर्गठन का विरोध
बैठक में कहा गया कि संघ सेवा का पुनर्गठन बिहार मॉडल की तर्ज पर करने का पुरजोर विरोध किया जा रहा है. एक तरफ तो राज्य सरकार द्वारा झारखंड प्रशासनिक सेवा को प्रीमियर सेवा का दर्जा देकर अपग्रेड करने की बात की जाती है और दूसरी तरफ सरकार गैर राज्य असैनिक के पदों को उपसमाहर्ता पद के समकक्ष कर रही है. अपने खून पसीने से राज्य सरकार की सेवा करने वाले झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ के पदाधिकारी इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. मुख्यमंत्री के समक्ष समस्याएं रखकर समाधान निकालने का प्रयास किया जायेगा. तत्काल समाधान नहीं होने की स्थिति में संघ आंदोलनात्मक रवैया अपनायेगा.
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