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देश को एक सूत्र में बांधने को संपर्क भाषा जरूरी : नित्यानंद

संपूर्ण देश को एक सूत्र में जोड़ने और परस्पर सौहार्द बढ़ाने के लिए एक संपर्क-भाषा का होना आवश्यक है. भारत की एक राष्ट्रभाषा हो, इसके लिए बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का प्रयास सराहनीय है.

संवाददाता, पटना संपूर्ण देश को एक सूत्र में जोड़ने और परस्पर सौहार्द बढ़ाने के लिए एक संपर्क-भाषा का होना आवश्यक है. भारत की एक राष्ट्रभाषा हो, इसके लिए बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का प्रयास सराहनीय है. वर्तमान सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि गैर हिंदी प्रदेश के अधिकारी अब शिक्षकों से हिंदी सीख रहे हैं. हमारी सरकार हिंदी को बढ़ावा देने की हर संभव कोशिश करेगी. ये बातें रविवार को बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन में आयोजित हिंदी पखवारा और पुस्तक चौदस मेला के आठवें दिन ””कवयित्री-सम्मेलन”” का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहीं. उन्होंने कहा कि यह भारत का दुर्भाग्य है कि स्वतंत्रता के समय हिंदी भाषा को आगे बढ़ाने की सोच रखने वाले प्रतिनिधि होते तो आज देश की राष्ट्रभाषा हिंदी होती. इस अवसर पर सम्मेलन अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने श्री राय का अभिनंदन किया तथा उन्हें सम्मेलन की शीर्ष समिति ”स्थायी समिति” की मानद सदस्यता प्रदान की. इस अवसर पर बिहार विधान परिषद के सदस्य संजय मयूख, नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति संजय कुमार, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डॉ शंकर प्रसाद, सम्मेलन के संरक्षक सदस्य डॉ विनोद शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किये. मौके पर आयोजित कवयित्री सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र ने अपनी रचना को पेश कर किया. वरिष्ठ कवयित्री और सम्मेलन की उपाध्यक्ष डॉ मधु वर्मा, आराधना प्रसाद, डॉ पूनम आनंद, डॉ शालिनी पांडेय, डॉ सीमा रानी, प्रो सुधा सिन्हा, डॉ सुमेधा पाठक समेत अन्य लोगों ने स्वरचित कविता पाठ कर श्रोताओं की खूब तालियां बटोरीं.

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