जूनियर डॉक्टरों की मांग- आप हमें न्याय दें, हम काम पर लौट आयेंगे कोलकाता. आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में चिकित्सक से कथित दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में न्याय की मांग को लेकर ‘जूनियर डॉक्टर’ की हड़ताल और विरोध प्रदर्शन के कारण राज्य में स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं महीने भर से अधिक समय से बाधित हैं. राज्य सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि चिकित्सकों के विरोध प्रदर्शन के कारण 23 लोगों की मौत हो गयी. उच्चतम न्यायालय ने विरोध प्रदर्शन कर रहे चिकित्सकों को मंगलवार शाम पांच बजे तक काम पर लौटने का निर्देश दिया और कहा कि कामकाज फिर से शुरू करने पर उनके खिलाफ कोई विपरीत कार्रवाई नहीं की जायेगी. आरजी कर अस्पताल के सेमिनार हॉल में महिला चिकित्सक का शव मिलने के तुरंत बाद नौ अगस्त की शाम से विरोध प्रदर्शन की शुरुआत हुई थी. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी जूनियर डॉक्टरों से ड्यूटी पर लौटने और स्वास्थ्य सेवाओं के संचालन को सामान्य बनाने के लिए कहा था. आरजी कर अस्पताल के एक जूनियर डॉक्टर ने कहा, ‘एक महीने से ज्यादा समय बीत गया है और जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी. पीड़िता को न्याय कब मिलेगा. क्या आपको लगता है कि हम, लोगों के साथ अन्याय कर रहे हैं. हम काम बंद नहीं करना चाहते, लेकिन जब तक न्याय नहीं मिल जाता, हम ड्यूटी पर नहीं लौटेंगे.’ आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों ने मिलकर एक टेलीमेडिसिन सेवा ‘अभय क्लिनिक’ शुरू की है, जिसके माध्यम से उन्होंने मरीजों की देखभाल शुरू कर दी है. उन्होंने कहा, ‘हम नहीं चाहते कि हमारे काम बंद करने से गरीब मरीजों को परेशानी हो. लेकिन हमारी मांगें स्पष्ट हैं, आप हमें न्याय दें और हम काम पर लौट आयेंगे. याद रखें कि आप जितनी देरी करेंगे, हमारे आंदोलन की उग्रता बढ़ती जाएगी.’ ‘पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट’ के अनुसार, 31 अगस्त को शुरू होने के बाद से उनकी ‘वर्चुअल टेलीमेडिसिन’ सेवा के माध्यम से हजारों मरीजों का इलाज किया जा चुका है. जूनियर डॉक्टर की अनुपस्थिति में उनके वरिष्ठ समकक्ष और प्रोफेसर, ओपीडी के साथ-साथ अन्य विभागों में मरीजों को देख रहे हैं. जूनियर डॉक्टर कोलकाता पुलिस आयुक्त विनीत गोयल को हटाने की मांग कर रहे हैं. क्योंकि उनका मानना है कि आइपीएस अधिकारी, महिला चिकित्सक से दुष्कर्म और हत्या मामले के मद्देनजर अपना कर्तव्य निभाने में ‘विफल’ रहे. हालांकि, राज्य स्वास्थ्य विभाग हड़ताल के कारण इलाज में देरी के चलते कथित तौर पर जान गंवाने वाले मरीजों की सटीक संख्या बताने को ‘तैयार नहीं’ है, लेकिन यह दावा किया गया है कि समाज का गरीब और हाशिए पर रहने वाला वर्ग इससे काफी प्रभावित हुआ है. नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बातचीत में राज्य स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि मरीजों की मौत की खबरें थीं, लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ये प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जूनियर डॉक्टर द्वारा काम बंद करने के कारण हुई हैं.
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