छपरा. एक पल नहीं लगता बस्तियां जलाने में, लेकिन उम्र गुजर जाती है एक घर बनाने में. यह पंक्ति शायद निगम के अधिकारियों के समझ से परे हैं, तभी तो हर साल एक हजार से अधिक लोगों के आशियाने, रोजी-रोटी, रोजगार पर कुंडली मार कर निगम के अधिकारी बैठ जाते हैं और लोगों को मानसिक और आर्थिक रूप से मरने के लिए छोड़ देते हैं. बात हो रही है नगर निगम के द्वारा मकान, दुकान, मॉल, मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल, और उद्योग धंधे के लिए नक्शा पास करने से संबंधित आवेदन की स्वीकृति की. आवेदन देने के बाद कोई कार्रवाई नहीं होती केवल बहाना होता है कि आपका जमीन शहर के टोपू लैंड एरिया में है. जबकि इस मामले पर राजस्व व भूमि सुधार विभाग, राज्य निबंधन विभाग, नगर विकास विभाग ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है बावजूद मनमानी की जा रही है.
टोपो लैंड के कारण इसका विकास नहीं हो रहा है. यहां ना तो नए उद्योग स्थापित हो रहे हैं और ना ही अपना करोड़ रुपया कोई इन्वेस्ट कर पा रहा है. इसका एकमात्र कारण है नगर निगम द्वारा नक्शा को पास नहीं किया जाना. यूं कहे तो छपरा नगर निगम के विकास में खुद इसके अधिकारी ही बाधक बन रहे हैं. नगर निगम के अधिकारियों के द्वारा घर मकान या प्रोजेक्ट के लिए नक्शा पास संबंधित दिए गए आवेदन को स्वीकार ही नहीं किया जा रहा है. आवेदकों को यह कह कर लौटा दिया जा रहा है कि आपने मकान भवन या प्रोजेक्ट के लिए जो जमीन ली है वह टोपोलैंड वाली है उसका रसीद और जमाबंदी करा कर लाइए फिर नक्शा पास होगा. जो की बहुत बड़ा टेंशन है. हर दिन आते हैं आठ से 10 आवेदन :निगम के अधिकारियों और कर्मियों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि हर दिन आठ से 10 नक्शा से संबंधित आवेदन आते हैं. साल में यह संख्या एक हाजर से 15 सौ से अधिक हो जाती है, लेकिन सवाल उठता है कि बड़े साहब नक्शा पास करने को तैयार नहीं रहते हैं क्योंकि टॉपोलैंड का मामला सामने आ जाता है. वही सामान्य सर्वेड लैंड के आवेदन पांच से 10 हर माह आते हैं उन्हें भी बेवजह परेशान किया जाता है.
हर बार रजिस्ट्री विभाग देता रहा है नो ऑब्जेक्शन
छपरा रजिस्ट्री विभाग का कहना है कि विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि टोपोलैंड जमीन से संबंधित अपने आदेश को वापस कर लिया है.समान रूप से जमीन की रजिस्ट्री हो रही है, ऐसे में नगर निगम को नक्शा पास करने में कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं करना चाहिए.नक्शा पास नहीं करने संबंधित कोई आदेश है तो उसे दिखाया जाए. इस बात की पुष्टि खुद रजिस्ट्रार गोपेश चौधरी ने कई बार की. उन्होंने कहा कि नगर निगम को आम लोगों की परेशानियों को समझना चाहिए और इसमें बाधक नहीं बनना चाहिये.जो भी करना है नगर आयुक्त सर को करना है
यह बात सही है कि हर दिन काफी संख्या में लोग नक्शा पास करने के लिए आ रहे हैं, लेकिन जो तकनीकी परेशानी है उसे वजह से पास नहीं हो रहा है. जो भी करना है नगर आयुक्त सर को करना है.अभय कुमार, सहायकअभियंता, नगर निगम, छपरा
बैठक में निर्णय लिया जाएगा
इस मामले में जब तक बोर्ड की बैठक नहीं होती है तब तक कुछ भी कहना अतिशयोक्ति होगी. बैठक में निर्णय लिया जाएगा व लोगों की समस्याओं का निदान किया जायेगा. लक्ष्मी नारायण गुप्ता, महापौर, नगर निगम, छपराडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है