मुजफ्फरपुर.
नदी किनारे नदियों की पंचायत कार्यक्रम के तहत शहर के सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रेसवार्ता कर नदियों को जोड़ने की बात कही. मुक्तिधाम पर आयोजित कार्यक्रम में गंगा मुक्ति आंदोलन के प्रणेता व पर्यावरणविद अनिल प्रकाश ने बताया कि 11 सितंबर को नदियों की पंचायत कायक्रम किया जाना है. बागमती, गंडक, बूढ़ी गंडक, लखनदेई, अधवारा समूह की नदियां, करेह, नून सहित अन्य नदियां अपनी उपस्थिति से जन जीवन को सदियों से सुखमय बनाती रही हैं, लेकिन विकास के नाम पर बन रहे तटबंधों, बराजों, फैक्ट्रियों, मिलों व थर्मल पावर स्टेशनों से बह रहे जहरीले कचरे के कारण हमारी जीवनदायी नदियों का दम घुट रहा है. नदियों पर जीनेवाले नाविक, मल्लाह, किसान, सब्जी उगानेवाले, भैंस और बैल पालकर जीने वाले करोड़ों स्त्री-पुरुषों की आजीविका व सांस्कृतिक जीवन गंभीर संकट में है. अब तो गंगा एवं उससे जुड़ी तमाम नदियों को बड़ी देशी-विदेशी कंपनियों के हाथ में सौंपने की शुरुआत हो चुकी है. सोंस को बचाने के नाम पर मल्लाहों को नदियों से खदेड़ने की चाल चली जा रही है. नदियों के किनारे के सौंदर्यीकरण के बहाने किसानों की बेशकीमती जमीनों पर भी कंपनियों की बुरी नजर है.इन्ही सवालों को लेकर यह नदियों की पंचायत मुक्तिधाम में आयोजित की गयी है. इन सवालों पर वर्षों से लड़ रहे संगठनों के प्रतिनिधि आमंत्रित हैं. यह नदी पंचायत नदी मुक्ति अभियान की शुरुआत करेगी. प्रेसवार्ता में मुख्य रूप से कार्यक्रम संयोजक नरेश सहनी, राजेंद्र पटेल, शाहिद कमाल, विजय जायसवाल, सेवादार अविनाश, समीरा खातून, हसमत अली, संगीता सुभाषिनी, जयचंद्र कुमार व सुनील सरला मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है