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किशोर की मौत के बाद सदर अस्पताल में किया हंगामा

किशोर की मौत के बाद उसके परिजनों ने सदर अस्पताल में जमकर हंगामा किया. अस्पताल में तोड़-फोड़ की, डॉक्टर का कॉलर पकड़कर बदतमीजी की और नर्सिंग स्टाफ के साथ मारपीट भी की गयी.

जहानाबाद.

किशोर की मौत के बाद उसके परिजनों ने सदर अस्पताल में जमकर हंगामा किया. अस्पताल में तोड़-फोड़ की, डॉक्टर का कॉलर पकड़कर बदतमीजी की और नर्सिंग स्टाफ के साथ मारपीट भी की गयी. मृतक के परिजनों के भय से डॉक्टर अपने रूम में बंद हो गये. जबकि नर्सिंग स्टाफ को भागना पड़ा. बाद में डॉक्टर के द्वारा टाउन थाना पुलिस को घटना की सूचना दी गयी. टाउन थाने की पुलिस के आने के बाद मामला शांत हुआ किंतु इसके बाद मृतक किशोर के परिजन सदर अस्पताल के गेट के सामने पटना-गया एनएच 83 को जाम कर दिया. वे लोग सदर अस्पताल के डॉक्टर पर किशोर को नहीं देखने का आरोप लगा रहे थे. बाद में नगर थाने की पुलिस ने उन्हें समझा- बूझाकर पटना-गया एनएच 83 से जाम हटाया. हालांकि इस बीच आवागमन करीब एक घंटे तक सड़क पर बाधित रहा. जबकि सदर अस्पताल के डॉक्टर का कहना है कि किशोर को जब अस्पताल में लाया गया था, उसके पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी. दरअसल शहर के राजा बाजार सरगणेश स्थित नगर निवासी संजय शर्मा का 17 वर्षीय पुत्र गोलू उर्फ रंजीत सोमवार को अपने स्कूल मानस विद्यालय में फीस जमा करने के लिए गया था. फीस जमा करने वह स्कूटी से अपने एक दोस्त के साथ गया था. लौटते समय उसने मेन रोड का रास्ता न चुनकर साइड रोड से अपने घर लौट रहा था. घर लौटने के दौरान स्कूटी का चक्का स्लिप कर गया और स्कूटी पीपीएम स्कूल के पहले मोड़ पर पानी भरे पईन के गड्ढे में गिर गया. उसके साथ आ रहे उसके दोस्त ने इसकी जानकारी घर वालों को दी तब तक किसी ने उसे गड्ढे से बाहर निकाला और इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचाया. अब सदर अस्पताल के चिकित्सकों का कहना है कि वह लड़का मृत ही सदर अस्पताल लाया गया था. यानी अस्पताल पहुंचने के पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी. जबकि मृतक के परिजनों का कहना है कि उसकी सांसें चल रही थीं और चिकित्सकों ने उसे नहीं देखा. अगर उसका इलाज किया जाता तो गोलू की जान बच सकती थी. इसी को लेकर मृतक के परिजनों ने अस्पताल में तोड़-फोड़ कर दी और डॉक्टर तथा नर्सिंग स्टाफ के साथ बदतमीजी की. ड्यूटी पर तैनात डॉ शिवकुमार ने बताया कि उनकी ड्यूटी 2 बजे से है. दो बजे के पहले जो डॉक्टर ड्यूटी पर थे, उन्होंने लड़के को देखा था. वह मृत था. उन्होंने भी जब लड़के को देखा तो उसकी मौत पहले ही हो चुकी थी. जबकि उसके परिजन उसे जिंदा बता रहे थे और उन लोगों ने उनका कॉलर पकड़ लिया और मारपीट करने की कोशिश की. इसके बाद वह कमरे में बंद हो गये. उन्होंने बताया कि अस्पताल के सामान इधर-उधर फेंक दिया. तीन-चार नर्सिंग स्टाफ के साथ मारपीट की गयी. थाना को सूचना देने पर थाने की पुलिस काफी देर से आयी. इधर नगर थाना प्रभारी दिवाकर विश्वकर्मा ने बताया कि एक किशोर की डूबने से मौत हो गयी है. उसके परिजन उसे जिंदा बता रहे थे. जबकि डॉक्टर का कहना था कि अस्पताल लाने के पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी. उसी आरोप में मृतक के परिजनों ने सड़क जाम की थी, जिसे हटा दिया गया है.

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