मुजफ्फरपुर.
डेंगू से हर दो दिन में दो से तीन मरीज पीड़ित हो रहे हैं. अब तक 53 मरीज डेंगू के मिले हैं. लेकिन विभाग के पास मात्र पांच फाॅगिंग मशीनें उपलब्ध हैं. ऐसे में विभाग जिले की 60 लाख की आबादी को मात्र पांच फॉगिंग मशीन से डेंगू से बचाव करने में जुटा है. जबकि मशीन खरीदने की डिमांड मुख्यालय में अटकी पड़ी है. यह स्थिति तब है जब 53 मरीज मिल चुके हैं. जबकि पिछले साल जिले में 596 मरीज मिले थे. इनमें से पांच लाेगाें की माैत भी हाे गई थी. बावजूद इस वर्ष विभाग सिर्फ कागजाें में ही तैयारी कर रहा है. इधर, निजी अस्पतालों में ताे एक हजार से अधिक मरीजों ने अपनी जांच व इलाज कराया था, जिसका रिकॉर्ड विभाग के पास नहीं है. इधर जिला मलेरिया विभाग के पास न गाड़ी है, न कर्मी और न ही आवंटन है. ऐसे में फाॅगिंग भगवान भराेसे ही चल रहा है. जिला मलेरिया पदाधिकारी डाॅ सुधीर कुमार ने बताया कि गाड़ी के आवंटन के लिए मुख्यालय से मांग की गई थी, लेकिन दी नहीं गयी है. मुख्यालय ने फाइलेरिया विभाग के कर्मी से फाॅगिंग कराने काे कहा है, लेकिन सवाल उठता है कि यदि औराई, कटरा, सरैया, साहेबगंज समेत अन्य प्रखंडाें में डेंगू मरीज मिलता है ताे वहां कर्मी कैसे जायेंगे.सुपरवाइजर के लिए गाड़ी का आवंटन अब तक नहीं
पिछले साल सुपरवाइजर के नाम पर गाडी एलाॅट करायी गयी थी. उसी गाड़ी से जहां मरीज मिलते थे, कर्मियाें काे भेजा जाता था और फाॅगिंग करायी जाती थी. 70 फीसदी मरीजाें के घर के 500 मीटर के दायरे में फाॅगिंग कराने का दावा किया गया था. वहीं इस वर्ष सुपरवाइजर के लिए गाड़ी का आवंटन अभी तक नहीं मिला है. ऐसे में छिड़काव कराने में काफी मशक्कत करनी हाेगी. बता दें कि, शहरी क्षेत्र में मिलने वाले मरीजाें के घर के आसपास नगर निगम की ओर से व ग्रामीण क्षेत्र में मिलने वाले मरीजाें के घर के पास स्वास्थ्य विभाग फाॅगिंग कराता है.प्रखंड स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम का गठन
पहली बार जिला व प्रखंड स्तर पर रैपिड रिस्पांस टीम गठित की गई है. यह टीम सूचना मिलने पर बचाव की त्वरित कार्रवाई करेगी. इसके अलावा हाॅट स्पाॅट काे चिह्नित कर वहां मानव बल काे नियुक्त किया जायेगा. रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड आदि संवेशनशील स्थानाें पर बाहर से आने वाले मरीजाें की रैपिड जांच भी टीम करेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है