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राज्य के 100 हेक्टेयर से बड़े 33 आर्द्रभूमि का बनेगा हेल्थ कार्ड

राज्य के 100 हेक्टेयर से बड़े 33 आर्द्रभूमियों का संक्षिप्त दस्तावेज, हेल्थ कार्ड और आर्द्रभूमि मित्र तैयार किया जायेगा.

संवाददाता, पटना

राज्य के 100 हेक्टेयर से बड़े 33 आर्द्रभूमियों का संक्षिप्त दस्तावेज, हेल्थ कार्ड और आर्द्रभूमि मित्र तैयार किया जायेगा. साथ ही 36 आर्द्रभूमियों की आर्द्रभूमि (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम, 2017 के अनुसार आर्द्रभूमि के रूप में अधिसूचना पर आवश्यक कार्रवाई की जायेगी. यह निर्देश पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने अधिकारियों को दिया है. मंत्री डॉ प्रेम कुमार सोमवार को बिहार राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की चौथी बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. इसका आयोजन पटना के अरण्य भवन में किया गया.

इस बैठक में बिहार राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की तीसरी बैठक की कार्यवाही के पालन की स्थिति डॉ के गणेश कुमार, सदस्य सचिव, बिहार राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकारण ने पेश की. बैठक में राज्य के आर्द्रभूमियों के बेहतर प्रबंधन और संरक्षण के लिए प्राधिकरण द्वारा सर्वसम्मति से कई निर्णय लिये गये. इसके तहत बेगूसराय वन प्रमंडल अंतर्गत कांवरताल (रामसर साइट) आर्द्रभूमि की समेकित प्रबंधन योजना पर प्राधिकरण से अनुमोदन प्राप्त की गई है. साथ ही राज्य के पांच महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों को रामसर साइट घोषित करने की कार्रवाई की जायेगी. इसमें मोनिकामन और नरसन चौर (तिरहुत), कठियो चौर (बेगूसराय), सरोतर झील (मोतिहारी), सोनकी सुईया भागर भोजपुर शामिल हैं.

ये रहे मौजूद

बैठक में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की सचिव बंदना प्रेयषी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक-सह-मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक, प्रधान सचिव पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, पर्यटन विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग, जल संसाधन विभाग एवं लघु जल संसाधन विभाग के प्रतिनिधि, सदस्य सचिव, बिहार राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण, बिहार, निदेशक, रिमोट सेंसिंग एप्लिकेशन सेन्टर, बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के प्रतिनिधि एवं अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, रांची क्षेत्रीय कार्यालय, सोमनाथ बन्धोपाध्याय, एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ रमन कुमार त्रिवेदी, निदेशक, बिहार पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, डॉ सूर्यभूषण, सहायक प्रोफेसर, विकास प्रबंधन संस्थान, पटना, निदेशक, वेटलैंड इंटरनेशनल दक्षिण एशिया, जलवायु परिवर्तन संभाग से आर्द्रभूमि विशेषज्ञ, जैव विविधता विशेषज्ञ, जीआइएस एनालिस्ट सहित अन्य विशेषज्ञ उपस्थित रहे.

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